अनुभवातीत:
कहते है बंधन सबसे बड़ा दुःख और आज़ादी सबसे बड़ा सुख है। आदमी दूसरों से कभी-कभी घिर जाता है। पर अपने लोगों से ज्यादा घिरा रहता है। पर सबसे बड़ी परेशानी तब होती है, जब आदमी अपनेआप के,अपनी कमजोरी के,अपने आलस्य के गहरे बंधन में फंस जाता है।पूर्वजों ने कहा है कि “आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः।” अपने शरीर में स्थित आलस्य ही आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन है।
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