कुंडली में अष्टम भाव का परिचय

                  *कुंडली में अष्टम भाव का परिचय* *अष्टम भाव से व्यक्ति की आयु व मृत्यु के स्वरुप का विचार किया जाता है| इस दृष्टि से अष्टम भाव का महत्व किसी भी प्रकार से कम नही है| क्योंकि यदि मनुष्य दीर्घजीवी ही नही तो वह जीवन के समस्त विषयों का आनंद कैसे उठा सकता...

ग्रहों कि युति और प्रतियुति

                    ग्रहों कि युति और प्रतियुति ===={{================}}============ जब दो ग्रह एक ही राशि में हों तो इसे ग्रहों की युति कहा जाता है। जब दो ग्रह एक-दूसरे से सातवें स्थान पर हों अर्थात् 180 डिग्री पर हों, तो यह प्रतियुति कहलाती है। अशुभ ग्रह या...

जन्म कुण्डली में पितृ दोष

                                            मुख्य रूप से जन्म कुण्डली से ही पितृ दोष का निर्णय किया जाता है परंतु स्वप्न में पितृ के दर्शन होना,घर मे किसी के मृत्यु के बाद उनका अहसास होना भी एक प्रकार से पितृदोष ही है । सूर्य आत्मा एव पिता का कारक ग्रह है,पिता का...

केतुग्रह~ समग्रचिन्तन –

                              केतुग्रह~ समग्रचिन्तन – ज्योतिष शास्त्र के अनुसार केतु एक छाया ग्रह है जो स्वभाव से पाप ग्रह भी है। केतु के बुरे प्रभाव से व्यक्ति को जीवन में कई बड़े संकटों का सामना करना पड़ता है। हालांकि यही केतु जब शुभ होता है तो व्यक्ति को...

भारतीय गणित का इतिहास~ एक सिंहावलोकन-

                  भारतीय गणित का इतिहास~ एक सिंहावलोकन- सभी प्राचीन सभ्यताओं में गणित विद्या की पहली अभिव्यक्ति गणना प्रणाली के रूप में प्रगट होती है। अति प्रारंभिक समाजों में संख्याये रेखाओं के समूह द्वारा प्रदर्शित की जाती थी। यद्यपि बाद में विभिन्न संख्याओं को...

नवरात्र/ नवरात्रि/ नवरात्री ~ शब्दव्युत्पत्ति-

                          नवरात्र/ नवरात्रि/ नवरात्री ~ शब्दव्युत्पत्ति- आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक का समय हम एक विशेष नाम से पुकारते हैं। कुछ लोग इसको नवरात्री कहते हैं, कुछ नवरात्रि और कुछ नवरात्र। यह शब्द समास (संक्षिप्तीकरण) से बना है।...