सप्तर्षि संवत्~

                                    सप्तर्षि संवत्~ भारत का प्राचीन संवत है जो ३०७६ ईपू से आरम्भ होता है। महाभारत काल तक इस संवत् का प्रयोग हुआ था। बाद में यह धीरे-धीरे विस्मृत हो गया। एक समय था जब सप्तर्षि-संवत् विलुप्ति की कगार पर पहुंचने ही वाला था, बच गया। इसको...

देवीभागवत में प्रकृतितात्विक खगोलविज्ञान और अयन-रहस्य

        देवीभागवत में प्रकृतितात्विक खगोलविज्ञान और अयन-रहस्य ~ भारतीय प्राचीन संस्कृति के साथ विज्ञान भित्तिक तथ्यों से भरपूर है। हमारे मुनिरुषी कृत पुराण- सम्भार। इन्ही पुराणों में से एक है, विद्वानों के द्वारा बहु चर्चित “देवीभागवत”, जो यथार्थ में...

अष्टम भाव का मंगल

            अष्टम भाव का मंगल ~ सुभगां महीज: वैदिक ज्योतिष के अनुसार आठवें घर से स्त्री का सौभाग्य , मानसिक बीमारी , आयु, मृत्यु, गुप्त ज्ञान , क्लेश , बदनामी, खनन , पत्नी का धन, ससुराल, दुर्घटना , गुदा , गुप्त विद्या आदि का विचार किया जाता है | आठवें घर की और गहराई...

वैदिक ज्योतिष में चन्द्रमा का महत्व

                            वैदिक ज्योतिष में चन्द्रमा का क्या महत्व है इसे समझने के लिये हमें थोड़ा गणित ज्योतिष में भी जाना चाहिए। फलित ज्योतिष में रुचि रखने वालों को गणित ज्योतिष की आधारभूत बातों की समझ भी होनी चाहिए। हमारा वार्षिक पञ्चाङ्ग चन्द्रमा की गति पर ही...

सौर परिवार ~ विज्ञान की एक अबूझ पहेली-

                                सौर परिवार ~ विज्ञान की एक अबूझ पहेली- ज्योतिष विज्ञान में सूर्य का विशेष महत्व है। सनातन धर्म सूर्य को प्रत्यक्ष देवता मानता है तो ज्योतिष ने भी सूर्य ग्रह को पिता माना है। पिता इसलिये क्योंकि वह सभी ग्रहों के जनक हैं। जैसा कि विज्ञान...