चर्मरोग के कारक ग्रह और भाव

                          चर्मरोग के कारक ग्रह और भाव ज्योतिष में त्वचा का कारक बुध ग्रह को माना जाता है| बुध यदि शुभ अवस्था में है, तो व्यक्ति की त्वचा अत्यन्त स्निग्ध होती है एवं त्वचा सम्बन्धी कोई भी बीमारी उसे नहीं होती है, लेकिन यदि बुध पापयुक्त अथवा पापद्रष्ट है...

आदित्य हृदय स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित

                      आदित्य हृदय स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम्‌ । रावणं चाग्रतो दृष्ट्वा युद्धाय समुपस्थितम्‌ ॥1॥ दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम्‌ । उपगम्याब्रवीद् राममगस्त्यो भगवांस्तदा ॥2॥ हिंदी अर्थ: उधर श्री रामचन्द्रजी...

कुंडली में अष्टम भाव का परिचय

                  *कुंडली में अष्टम भाव का परिचय* *अष्टम भाव से व्यक्ति की आयु व मृत्यु के स्वरुप का विचार किया जाता है| इस दृष्टि से अष्टम भाव का महत्व किसी भी प्रकार से कम नही है| क्योंकि यदि मनुष्य दीर्घजीवी ही नही तो वह जीवन के समस्त विषयों का आनंद कैसे उठा सकता...

शिवपार्वती~एक अलौकिक साधना-

              शिवपार्वती~एक अलौकिक साधना- जन्म कोटि लगि रगर हमारी, बरउँ संभु न तो रहउँ कुंआरी – तुलसीबाबा __________________________________________ कल शिव की मोहक छवि पर मेरा चक्षुपात हुआ। मुझे पार्वती का शिवपद अनुराग स्मृत हो आया। सर्वगुणसम्पन्न एक युवती का...

ग्रहों कि युति और प्रतियुति

                    ग्रहों कि युति और प्रतियुति ===={{================}}============ जब दो ग्रह एक ही राशि में हों तो इसे ग्रहों की युति कहा जाता है। जब दो ग्रह एक-दूसरे से सातवें स्थान पर हों अर्थात् 180 डिग्री पर हों, तो यह प्रतियुति कहलाती है। अशुभ ग्रह या...

जन्म कुंडली के दशम भाव में सूर्य का शुभ/अशुभ फल

                                          जन्म कुंडली के दशम भाव में सूर्य का शुभ/अशुभ फल ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ शुभ सूर्य दशम स्थान में सूर्य मीन, मेष, सिंह, कन्या एवं वृश्चिक राशि मे होकार यदि मंगल, गुरु, बुध आदि शुभ ग्रहों से युत या दृष्ट हो तो ऐसे जातक...