चर्मरोग के कारक ग्रह और भाव

                          चर्मरोग के कारक ग्रह और भाव ज्योतिष में त्वचा का कारक बुध ग्रह को माना जाता है| बुध यदि शुभ अवस्था में है, तो व्यक्ति की त्वचा अत्यन्त स्निग्ध होती है एवं त्वचा सम्बन्धी कोई भी बीमारी उसे नहीं होती है, लेकिन यदि बुध पापयुक्त अथवा पापद्रष्ट है...

अंगो के फड़कने का रहस्य

                      अंगो के फड़कने का रहस्य अन्य प्राणियों की तुलना में हमारा शरीर काफी संवेदनशील होता है। यही कारण है कि भविष्य में होने वाली घटना के प्रति हमारा शरीर पहले ही आशंका व्यक्त कर देता है। शरीर के विभिन्न अंगों का फड़कना भी भविष्य में होने वाली घटनाओं से...

आदित्य हृदय स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित

                      आदित्य हृदय स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम्‌ । रावणं चाग्रतो दृष्ट्वा युद्धाय समुपस्थितम्‌ ॥1॥ दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम्‌ । उपगम्याब्रवीद् राममगस्त्यो भगवांस्तदा ॥2॥ हिंदी अर्थ: उधर श्री रामचन्द्रजी...

कुंडली में अष्टम भाव का परिचय

                  *कुंडली में अष्टम भाव का परिचय* *अष्टम भाव से व्यक्ति की आयु व मृत्यु के स्वरुप का विचार किया जाता है| इस दृष्टि से अष्टम भाव का महत्व किसी भी प्रकार से कम नही है| क्योंकि यदि मनुष्य दीर्घजीवी ही नही तो वह जीवन के समस्त विषयों का आनंद कैसे उठा सकता...

वीणा

            वीणा- प्राचीन काल का एक प्रसिद्ध बीन विशेष तत जातीय वाद्य है और इसका प्रचार अब तक भारत के पुराने ढंग के गवैयों में है । इसमें बीच में एक लंबा पोला दंड होता है, जिसके दोनों सिरों पर दो बड़े बड़े तूँबे लगे होते हैं और एक तूंबे से दूसरे तूँबे तक, बीच के दंड...