कार्तिक पूर्णिमा
श्रीमद्देवीभागवतपुरण नवम स्कन्ध तथा ब्रह्मवैवर्तपुराण प्रकृतिखंड के अनुसार
कार्तिकीपूर्णिमायां च तुलस्या जन्म मङ्गलम् ।।
तत्र तस्याश्च पूजा च विहिता हरिणा पुरा ।। ३४ ।।
तस्यां यः पूजयेत्तां च भक्त्या च विश्वपावनीम् ।।
सर्वपापाद्विनिर्मुक्तो विष्णुलोकं स गच्छति ।। ३५ ।।
कार्तिक की पूर्णिमा तिथि को देवी तुलसी का मंगलमय प्राकट्य हुआ और सर्वप्रथम भगवान श्रीहरि ने उसकी पूजा सम्पन्न की। जो इस कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर विश्वपावनी तुलसी की भक्तिभाव से पूजा करता है, वह सम्पूर्ण पापों से मुक्त होकर भगवान विष्णु के लोक में चला जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिवस पर स्वयं भगवान श्रीकृष्ण तुलसी महारानी की पूजा निम्नलिखित मंत्र से करते हैं –
वृंदावनी, वृंदा, विश्वपूजिता, पुष्पसार।
नंदिनी, कृष्णजीवनी, विश्वपावनी, तुलसी।
*इस मंत्र से पूर्णिमा के दिन जो भी श्रद्धालु तुलसी महारानी की पूजा करता है वह जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त होकर गोलोक वृंदावन जाने का अधिकारी बनता है*।
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