जन्मकुंडली में अन्य ग्रहों के साथ-साथ राहु और केतु का भी विशेष महत्व है। राहु का नाम सुनते ही व्यक्ति अनिष्ट की आशंका करने लगता है जो कि काफी हद तक सही भी है परंतु प्रत्येक स्थिति में नहीं।ये दोनों एक ही सिक्के के दो पहलु की तरह एक दूसरे से विपरीत हैं, लेकिन इनका कुंडली में शुभ या अशुभ होना आपको सबसे अधिक प्रभावित करता है।
कन्या राशि में राहु स्वराशि समान माना जाता है।
राहु मिथुन राशि में उच्च व धनु में नीच का होता है।
शनि, बुध व शुक्र से राहु मित्र तथा सूर्य, चंद्र, मंगल व गुरु से शत्रु व्यवहार रखता है।
नक्षत्रों में राहु आद्रा, स्वाति और शतभिषा नक्षत्रों का स्वामी है।
वैदिक ज्योतिष में राहु तामसिक ग्रह तो है ही, साथ ही राहु के कारक तत्वों में भी अधिकांशतः ऐसी वस्तुएं हैं जो व्यक्ति को तामसिक प्रवृत्ति या अशुभ मार्गों की ओर ले जाती हैं जैसे- मतिभ्रम, छल-कपट, झूठ बोलना, चोरी, तामसिक भोजन, कठोर वाणी, जुआ, षड्यंत्र, छिपे शत्रु, अनैतिक कर्म, आकस्मिकता, नकारात्मक सोच, त्वचा के रोग, धार्मिक यात्राएँ आदि।
यह एक क्रूर ग्रह है, परंतु यदि राहु कुंडली में मजबूत होता है तो जातकों को इसके अच्छे परिणाम मिलते हैं जबकि कमज़ोर होने पर यह अशुभ फल देता है।
जिस व्यक्ति की जन्म पत्रिका में राहु अशुभ स्थान पर बैठा हो, अथवा पीड़ित हो तो यह जातक को इसके नकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं।
जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में स्थित लग्न भाव में राहु होता है वह व्यक्ति सुंदर और आकर्षक व्यक्तित्व वाला होता है। व्यक्ति साहसिक कार्यों से पीछे नहीं हटता है।
लग्न का राहु व्यक्ति को समाज में प्रभावशाली बनाता है। वहीं इसके प्रभाव बहुत हद तक लग्न में स्थित राशि पर निर्भर करता है। इसके अलावा ज्योतिष में लग्न का राहु व्यक्ति के वैवाहिक जीवन के लिए अनुकूल नहीं माना जाता है।
कुंडली में राहु का अशुभ असर होने से बीमारियां, परेशानियां और असफलता पीछे लग जाती हैं।
राहु ही केतु के साथ योग कर कालसर्प योग का भी निर्माण करता है। ऐसी स्थिति जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में स्थित हो जाए उसे ही तथाकथित कालसर्प योग माना जाता है।
सब ग्रहों पर भारी है राहु!
राहु और शुक्र-
राहु ग्रह के साथ शुक्र की युति से व्यक्ति गलत आदतों का शिकार हो सकता है। व्यक्ति के अंदर से नैतिकता का पतन होने लगता है। राहु की शुक्र से युति जातक को तामसिक विलासिता की ओर ले जा सकती है। ऐसे में मदिरापान की आदत हो सकती है। पुरूष की कुंडली में यह योग प्रेम-विवाह, अन्तर्जातीय विवाह भी करा सकता है। व्यक्ति अधर्म के मार्ग पर चलने को विवश हो जाता है। शुक्र के शुभ असर राहु समाप्त कर देता है।
राहु और मंगल–
इसे अंगारक योग भी कहते हैं। ये योग भाई के लिए अशुभ रहता है। खून से संबंधित समस्या हो सकती है। वहीं यह भी माना जाता है कि राहु और मंगल दोनों साथ होते हैं तो एक दूसरे को अस्त कर देते हैं।राहु और मंगल की युति भी अनिष्टकारी होती है। ऐसा व्यक्ति क्रोधी व अहंकारी होता है। इस योग से दुर्घटना, शत्रु बाधा या लड़ाई झगड़े की समस्या भी होती है। स्त्री की कुंडली में यह वैवाहिक जीवन में भी समस्याएं उत्पन्न करेगा।
राहु और गुरु–
कुंडली में राहु और गुरु का योग होने से कुछ शुभ तो कुछ अशुभ प्रभाव देखने को मिलता है। इस योग से व्यक्ति लंबी आयु तक जीवित रहता है, लेकिन इनके जीवन में परेशानियां हमेशा बनी रहती हैं।राहु व गुरु की युति को गुरु चांडाल दोष भी कहते हैं। ऐसे में विवेक में कमी, शिक्षा में बाधा होती है। संतान सुख में बाधायें आती हैं तथा व्यक्ति में कार्यों को व्यवस्थित करने की प्रतिभा कम होती है तथा उन्नति में भी बाधायें आती हैं।
राहु और शनि-
जिन लोगों की कुंडली में शनि के साथ राहु स्थित है, वे रहस्यमयी होते हैं। ये लोग गुप्त कार्यों से अधिक पैसा कमाते हैं।अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा सरकार से छिपाते हैं। यदि सप्तम भाव में ये युति रहती है तो जीवन साथी से तालमेल नहीं बन पाता है। कुंडली में शनि, राहु की युति जातक को ऐसे कार्य से जोड़ सकती है जिसमें आकस्मिक लाभ की संभावना हो या चातुर्य से लाभ हो परंतु आजीविका में कुछ संघर्ष अवश्य रहेगा।
राहु और सूर्य-(ग्रहण दोष)
इस योग का प्रभाव बहुत ही अशुभ होता है। पिता पुत्र में विवाद रहता है और परेशानियां आती हैं। वहीं राहु ही सूर्य का ग्रास भी करता है। यदि राहु और सूर्य की युति कुंडली में है तो जीवन में पिता का सुख नहीं मिलेगा, पुत्र सुख में भी कमी होगी प्रसिद्धि व प्रतिष्ठा की प्राप्ति नहीं होगी, व्यक्ति का आत्मविश्वास डांवाडोल रहेगा, तथा भला करने पर भी भलाई नहीं मिलेगी अर्थात यश नहीं मिलेगा।
राहु और चंद्रमा-(ग्रहण दोष)
राहु और चंद्रमा यदि कुंडली में एक साथ हैं तो व्यक्ति को माता का सुख कम रहेगा। ऐसा व्यक्ति मानसिक रूप से सदैव अशांत रहेगा, एकाग्रता की कमी रहेगी, जल्दी अवसाद में आ जाना, चिंता करना आदि। ऐसा व्यक्ति व्याकुलता व घबराहट से भी परेशान रहता है तथा सर्दी की समस्याएं भी उसे सताती हैं।
राहु और बुध-
राहु और बुध की युति से निर्णय क्षमता में कमी या शीघ्रता में गलत निर्णय लेना, शिक्षा में उतार–चढ़ाव व वाणी दोष भी हो सकता है। राहु के इस योग से व्यक्ति को सिर से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं
यदि ऐसे योग आपकी कुण्डली में भी है तो आज ही संपर्क करे……
राहु के अशुभ प्रभाव!
1-राहु के अशुभ असर से व्यक्ति को अपमान का दंश झेलना पड़ता है।
2-राहु के अशुभ प्रभाव से किसी काम में व्यक्ति को सफलता नहीं मिलती।
3- जब कुंडली में राहु अशुभ होता है व्यक्ति नशे का आदी हो जाता है।
4 – राहु राजनीति में तो ले जाता है लेकिन बदनामी का कारण भी यही ग्रह होता है।
5- अशुभ राहु के प्रभाव से व्यक्ति की व्यवहार और नैतिकता में लगातार गिरावट आती है
आपकी कुंडली में राहु खराब होने के यह हैं लक्षण!…
अगर आपकी कुंडली में राहु दोष है तो यह आपको बुरे प्रभाव देगा। लेकिन समस्या यह है कि आप कैसे पहचानेगे कि राहु दोष है तो यह आपको बुरे प्रभाव देगा। लेकिन समस्या यह है कि आप कैसे पहचानेगे कि राहु दोष है। तो हम आपको बताते है कि किन लक्षणों से आप जान सकते है कि राहु दोष है कि नहीं।
अगर आपके घर-परिवार में बिना बात घर में कलह, हर काम बनते-बनते बिगड़ जाते हैं, शत्रु बिना बात परेशान करें, आपकी सेहत ठीक न रहें या फिर आपका सम्मान कोई न करें तो समझ लीजिएं कि आपका कोई ग्रह खराब है।
लक्षण-1. अगर आपकी कुंडली में राहु दोष है तो आपको मानसिक तनाव, आर्थिक नुकसान, स्वयं को ले कर ग़लतफहमी, आपसी तालमेल में कमी, बात बात पर आपा खोना, वाणी का कठोर होना और अपशब्द बोलना साथ ही अगर आपकी कुंडली में राहु की स्थिति अशुभ हौ तो आपके हाथ के नाखून अपने आप टूटने लगते हैं।
2- इसके साथ ही वाहन दुर्घटना, पेट में कोई समस्या, सिर में दर्द होना, भोजन में बाल दिखना, अपयश की प्राप्ति, संबंध ख़राब होना, दिमागी संतुलन ठीक नहीं रहता है, शत्रुओं की ओर से परेशान आदि आपकी कुंडली में राहु के खराब होने के संकेत है।
अगर आप इन समस्याओं से परेशान है तथा आप राहु के शुभ फलों को प्राप्त करना चाहते हैं या अशुभ फलों के प्रभाव से बचना चाहते हैं तो राहु का बीज मंत्र का या वैदिक मंत्र का, या राहु का तंत्रोक्त मंत्र का जप एवं हवन करावे। राहु केशुभ फल प्राप्त करने के लिए गोमेद धारण करना चाहिए। विशेष परिस्थितियों में योग्य ज्योतिषी से सलाह लें।
Recent Comments