नरत्वं दुर्लभं लोके विद्या तत्र सुदुर्लभा। कवित्वं दुर्लभं तत्र शक्ति स्तत्र सुदुर्लभा।। इस पृथ्वी पर मनुष्य योनि दुर्लभ है, मनुष्य में भी विद्या अत्यधिक दुर्लभ है, विद्या के साथ काव्य शक्ति का दुर्लभ होना और उससे भी दुर्लभ इन सभी कार्यों को करने की शक्ति का नितांत दुर्लभ होना और भी दुष्कर है। ये अगर मिले तो ईश्वर की कृपा है।
अच्छी और ज्ञानवर्धक सीख हँ।