Image may contain: text

राम राज्य की संकल्पना स्वयं में समावेशन ,समरसता, समता, स्वतन्त्रता,मर्यादा, उन्नति आदि को समेटे हुए है। वंचित एवं दिव्यांग जनों के प्रति ईर्ष्या,द्वेष, प्रत्येक प्रकार का विभेद, उपेक्षा, उत्पीड़न करने वालों का कृत्य निश्चित रूप से “रावण” तुल्य कृत्य है जो रामराज्य की स्थापना में बाधा है। ऐसे “रावण” का पुतला दहन “अपर्याप्त” है। ऐसे सामाजिक प्राणियों की मनोदशा एवं वातावरण को सकारात्मक दिशा में ले जाना उद्देश्य प्राप्ति को सफल बनाएगा। ऐसे बन्धु भगिनी अपने रावणिय कृत्य से दिव्यांग जन को अधिक शक्ति के साथ सबल बनाकर राम के आदर्शो को व्यावहारिक रूप में धारण कर अग्रसर होने के स्रोत सिद्ध होकर विजय प्राप्त करने में अग्रणी भूमिका निभाते हैं। विजय दशमी की शुभकामनाएं ( ये हमारे व्यक्तिगत विचार है)
The concept of Ram Rajya encompasses inclusion, harmony, equality, independence, dignity, progress etc. Jealousy, malice, discrimination of every kind, neglect, act of oppressors towards Divyang people as well as deprived is definitely an act like “Ravana” which is an obstacle in the establishment of Ramrajya. The effigy burning of such “Ravana” is “insufficient”. Taking the mood and environment of such social beings in a positive direction will make the objective attainment successful. Such brother & sisters, by their “Ravan’s act”, strengthened the Divyang people with more power and by holding the ideals of Rama in practical form, proved to be the source of the forerunner and played a leading role in conquering. Shubh Vijay Dashmi (These are our personal views)