अष्टम भाव का मंगल ~ सुभगां महीज:
वैदिक ज्योतिष के अनुसार आठवें घर से स्त्री का सौभाग्य , मानसिक बीमारी , आयु, मृत्यु, गुप्त ज्ञान , क्लेश , बदनामी, खनन , पत्नी का धन, ससुराल, दुर्घटना , गुदा , गुप्त विद्या आदि का विचार किया जाता है | आठवें घर की और गहराई में जाएँ तो इस घर से रहस्यमयी दुनिया जैसे ज्योतिष,जादू-टोना,तंत्र आदि में रूचि का विचार भी किया जाता है। इसके अलावा दोस्तों, परिवारवालों या ससुराल पक्ष से क़र्ज़ और जीवन-मृत्यु (पुनर्जन्म) का विचार भी किया जाता है। जीवन में जो भी जमीन के नीचे छिपा है या मन की गहराईयों में गुप्त रूप से जो भी चल रहा है या जिसे आप छिपाये हुए है उन सबका विचार भी आठवें घर से किया जा सकता है। कुंडली में आठवें घर को सबसे पेचीदा घर कहा जा सकता है क्योंकि पुरातन काल से ही मारक स्थान होने के कारण इस घर से भयभीत कर दिया गया है ,उसके अपने कारण भी हैं। लेकिन आज के दौर में ये घर बहुत ही संवेदनशील और कई अर्थों में महत्वपूर्ण भी है।
कुंडली के आठवें घर में मंगल होने का मतलब अनियंत्रित ऊर्जा के रूप में लिया जा सकता है, सबसे महत्वपूर्ण हो जाता है कि मंगल किस राशि में है। यंहा बैठा हुआ बलवान मंगल व्यक्ति को मजबूत इच्छाशक्ति वाला और अधिकार दे सकता है। मंगल की ऊर्जा को सही दिशा मिल जाये तो खनन और भूमि के क्षेत्र से अथाह धन सम्पदा बना सकता है , व्यक्ति को नयी ऊंचाई दे सकता है। मंगल वो आग है जो कुछ पाने के लिए व्यक्ति के दिल में जलती रहती है उसे बेचैन कर सकती है , अधिकार पाने के लिए व्यक्ति कोई भी तरीका अपना सकता है। अक्सर देखने में आया है कि ऐसे व्यक्तियों की ऊर्जा को सही दिशा मिलने के बाद अपने जीवन के दूसरे हिस्से में जबरदस्त सफलता मिलती है। कुंडली में दूसरे ग्रहों का अच्छा साथ मिल रहा हो तो ऐसे लोग रिसर्च में , मनोविज्ञान में या चिकित्सा के क्षेत्र में सफलता पा सकते हैं। ऐसे व्यक्ति मंगल की अवधि के दौरान तंत्र-मन्त्र, ज्योतिष और अध्यात्म में भी रूचि ले सकते है।
कुंडली के आठवें घर में बैठा कमजोर मंगल बहुत ही ईर्ष्यालु और अमानवीय कृत्यों में लिप्त हो सकता है अपने आपको असुरक्षित महसूस कर सकता है कर्जदार हो सकता है हमेशा आवेग और आवेश में रह सकता है लेकिन ये सारे अवगुण तभी आते हैं जब दूसरे ग्रहों का अच्छा साथ नहीं मिल रहा हो। मेरे विचार से ज्योतिष वो विधा है जिसके सहारे आप ग्रहों के स्वभाव और घरों के कारक स्वभाव के अनुसार व्यक्ति के मानसिक चरित्र को समझते हुए उसे सही रास्ता बताये यही ज्योतिष का सही उपयोग हो सकता है। मैं अक्सर बोलता हूँ “,ज्योतिष , अध्यात्म के विस्तार का एक अंग है और भविष्यफल उसका एक आयाम , मेरा मानना है कि वैदिक ज्योतिष में अध्यात्म की ऊंचाई और मनोविज्ञान की गहराई दोनों का समावेश है – इसका ज्ञान कुंडली के माध्यम से व्यक्ति के मन की गहराईयों में उतरने और व्यक्तित्व में झांकने का सबसे बड़ा वैज्ञानिक तरीका बन सकता है और समाधान का जरिया भी “
कुंडली में आठवें घर में बैठे कमजोर मंगल के कारण बहुत से नकारात्मक गुण आ सकते हैं ऐसे व्यक्ति अपनी स्वतंत्रता में किसी भी तरह की बाधा पसंद नहीं करते अपनी प्रवृत्ति और प्रकृति को ही सही मानते हैं समाज की परम्पराओं में भरोसा नहीं करते सिर्फ दिखावा कर सकते हैं ऐसे लोग बहुत अहंकारी हो सकते हैं बोलने में कठोर और अतार्किक हो सकते हैं अपनी वाणी से दूसरों को विचलित कर सकते हैं। अगर कुंडली में और भी दोष हों तो ऐसे व्यक्ति अजीब इच्छाओं वाले और सायकी या मनोरोगी हो सकते हैं, यौनइच्छाओं को पूरा करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं , जिसका आम लोगों को उनके व्यवाहर से ऊपरी तौर पर पता भी नहीं चल पाता। पारिवारिक जीवन नष्ट हो सकता है। आपको बवासीर या उच्च रक्तचाप की शिकायत हो सकती है।
कुंडली के आठवें घर में मंगल होने की स्थिति में लोगों को डरने की जरुरत नहीं है वरन सावधानीपूर्वक और नियंत्रित तरीके अपनाने से बहुत सी परेशानियों और कष्टों से मुक्ति मिल सकती है। यंहा बैठे मंगल का आपके लिए स्पष्ट सन्देश है की आपको न चाहते हुए भी सामाजिक कार्यों में अपने आपको लगा देना चाहिए लोगों की सेवा में वक्त लगाना चाहिए लोगों को मीठा खिलाना चाहिए ,शारीरिक श्रम के कुछ काम करने चाहिए और सबसे महत्वपूर्ण आपको योग और ध्यान का सहारा लेना चाहिए। इससे नकारात्मक ऊर्जा को एक दिशा मिल जाती है और आपको एक समाधान।
सुंदर लेख
यह व्याख्या बहुत उत्तम है बहुत ही श्रेयस्कर है एवं सही मार्ग प्रदर्शक बहुत-बहुत धन्यवाद भैया जी
Awesome
Interesting and useful !!
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