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भगवान बुध्द ब्राह्मण थे-
अनन्त श्री विभूषित श्री ऋग्वेदिय पूर्वाम्नाय गोवर्धनमठ पुरीपीठाधिश्वर श्रीमज्जगदगुरु शंकराचार्य भगवान के अमृतवचन :-
विषय :- बुद्ध दो हुऐ हैं । ब्राह्मणवंशी बुद्ध ( विष्णु अवतार ) और क्षत्रियवंशी बुद्ध ।
बुद्ध दो हुऐ हैं । एक भगवान विष्णु के जो दशावतार हुऐ हैं उनमें बुद्ध हुऐ हैं । जितने भी कर्मकांडी भारत , नेपाल , भूटान में हैं ” बौद्धावतारे “ऐसा पढ़ते हैं लेकिन बुद्ध कौन हुऐ इसका ज्ञान उन्हें नहीं । एक बुद्ध हुऐ हैं नेपाल में , उनकी ससुराल भी नेपाल में , उनका जन्म भी नेपाल में , वो क्षत्रिय कुल में हुऐ हैं । उनको सिद्धि भले ही बौद्ध गया में मिली हो लेकिन जन्मस्थल की दृष्टि से वे नेपाल में हुऐ हैं और क्षत्रिय कुल में हुऐ हैं । लेकिन भविष्य पुराण के अनुसार विचार करें तो ब्राह्मणकुल में बौद्धावतार हुआ है । बौद्धावतार का क्षेत्र भविष्यदगति से श्रीमदभागवत में है “किकटेषु भविष्यति ” । किकट में भगवान विष्णु बुद्ध का अवतार लेंगें । बौद्धावतार कीकट में होगा । किकट शब्द का प्रयोग ऋग्वेद में भी किया गया है औेर सायणाचार्य के भाष्य में यह कहा गया कि देश या क्षेत्र विशेष का नाम किकट है । लेकिन वो क्षेत्र विशेष कौन है ऐसा वहां नहीं लिखा गया । श्रीधर स्वामी ने जिन्होंने श्रीमदभागवत पर भाष्य लिखा श्रीधरी टिका आज पूरे विश्व में चर्चित है , चैतन्य महाप्रभु भी उस टिका पर लट्टू थे । उन श्रीधर स्वामी ने किकट का अर्थ किया है गया क्षेत्र । ” किकटेषु भविष्यति ” किकट का अर्थ ” गया ” किया है , गया क्षेत्र । हमने लगभग दस वर्ष पहले ही यहां के महानुभावों से कहा कि गया क्षेत्र में , जैसे पुरुषोत्तम क्षेत्र है उसके अंर्तगत पुरी है , पुरी का नाम ही पुरुषोत्तमक्षेत्र नहीं है , पुरुषोत्तम क्षेत्र के अंर्तगत पुरी है , इसी प्रकार किकट क्षेत्र के अंर्तगत गया भी है । चारों ओर अनुंसंधान होना चाहिये कि ब्राह्मण कुल में भगवान बुद्ध का अवतार कहां हुआ । कुछ महानुभावों ने चार साल पहले लगभग बताया कि टिले पर ब्राह्मणों का गांव है और वहां बुद्ध की प्राचीन मूर्ति है । मैं एक संकेत कर दूं अग्नि पुराण में भगवान बुद्ध का ध्यान बताया गया । इन बौद्धों ने क्या किया उस श्लोक के आधार पर भगवान बुद्ध का जो चित्र बन सकता है वही बना के रख दिया । अग्नि पुराण में जो भगवान बुद्ध का ध्यान लिखा गया है उसके आधार पर जो भगवान बुद्ध की आकृति बनती है चित्र बनता है गौतम बुद्ध के अनुयायीयों ने उसी को बुद्ध के रुप में ख्यापित कर लिया । दूसरी बात क्या है अमरसिंह हुऐ हैं जिन्होंने अमरकोष की रचना की , वो बौद्ध थे उन्होंने बहुत ही चतुराई का परिचय दिया । भगवान बुद्ध और गौतम बुद्ध के नाम एक साथ लिख दिया । बीच में विभाजक के रुप में एक शब्द का प्रयोग कर दिया जिसका अर्थ लोग नहीं समझ पाते कि विभाजक है ताकि भविष्य में लोग ब्राह्मण कुल में अवर्तीण बुद्ध को भूल जायें , गौतम बुद्ध ही बुद्ध के रुप में चर्चित हो जायें । एक औेर कारण है गौतम गोत्र दोनों बुद्ध का था । क्षत्रिय कुल में उत्पन्न बुद्ध का गोत्र भी गौतम और ब्राह्मण कुल में गया क्षेत्र में उत्पन्न बुद्ध का गोत्र भी । क्षत्रिय , वैश्य के गोत्र तो ब्राह्मणों के अाधार पर ,ऋषियों के अाधार पर चलते हैं , इस भ्रम के कारण भी , दोनों का गोत्र मिलने के कारण भी ब्राह्मण कुल में उत्पन्न जो हमारे विष्णु के अवतार बुद्ध उनको हम लोग भूल गये । हमको जिस कुल में जो उत्पन्न हुऐ हैं उसके प्रति आदर है , आदर्श कोई भी हो सकते हैं इसको लेकर कोई परहेज नहीं । क्या हम भगवान राम को ब्राह्मण कुल में उत्पन्न सिद्ध करेंगें.. नहीं , हमारे आराध्य हैं लेकिन क्षत्रिय वंश में हुऐ , भगवान श्री कृष्ण को क्या हम ब्राह्मण बनाना चाहेंगें , क्षत्रिय कुल में होते हुऐ हमारे आराध्य हुऐ । लेकिन सत्य का गला ना घोंटा जाये । Hrishikesh Brahmachari Jagadguru Shankaracharya Swami Shree Nishchalanand Saraswati Ji Jagadguru Shankaracharya Swami Shri Nishchalanand Saraswati Ji’s Followers