
हस्तरेखा के द्वारा रोगों का ज्ञान-
हथेली की रेखाओं से यह भी मालूम किया जा सकता है कि भविष्य में किसी व्यक्ति को कौन से रोग हो सकते हैं। यहां जानिए ऐसे ही कुछ योग जो बताते हैं रेखाओं के किन योगों से कौन से रोग हो सकते है-

पेट रोग- किसी व्यक्ति की हथेली में चन्द्र पर्वत पर नक्षत्र चिह्न हो तो पेट रोग होने की संभावना रहती है।

हृदय रोग- जिसकी हृदय रेखा में द्विप वृत्त चिह्न हो शनि क्षेत्र के नीचे मस्तिष्क रेखा का रंग पीला हो या आयु रेखा के पास वाले मंगल क्षेत्र पर काला बिन्दु हो या हृदय रेखा पर काले तिल का चिह्न हो एवं द्विप हो तो व्यक्ति को आकस्मिक मूर्छा तथा हृदय रोग हो सकता है।

आंत रोग- यदि रेखाएं पीले रंग की हो, नाखून रक्त वर्ण एवं धब्बेदार हो तथा बुध रेखा खंडित हो तो व्यक्ति को आंतों की बीमारी हो सकती है।

रीढ़ का रोग- यदि हृदय रेखा पर शनि के नीचे द्विप चिह्न हो तो व्यक्ति को रीढ़ की बीमारी हो सकती है।

दांतों का रोग- जिस व्यक्ति की हथेली में शनि क्षेत्र उच्च हो और उस पर अधिक रेखाएं हो बुध शनि रेखा लहरदार एवं लम्बी हो उंगलियों के द्वितीय भाग लंबे हो तो दांत के रोग हो सकते हैं।
डॉ0 विजय शंकर मिश्र:

गुर्दे का रोग- यदि मस्तिष्क रेखा पर, मंगल के समीप सफेद रंग के दाग हो एवं दोनों हाथों की हृदय रेखा टूटी हुई हो तो व्यक्ति को गुर्दे का रोग होता है।

दमा रोग- यदि हाथों का मध्य का भाग छोटा हो, स्वास्थ्य रेखा बिगड़ी हुई हो, बुध रेखा मस्तिष्क रेखा से मिले एवं शुक्र पर्वत से एक बारिक रेखा निकल कर आयु रेखा को पार करके मगंल क्षेत्र पर जाए तो दमा, खांसी एवं सांस लेने में परेशानी हो सकती है।

पीलिया रोग- यदि व्यक्ति को बुध रेखा पर नक्षत्र चिह्न एवं द्विप चिह्न हो और उसी स्थान पर काला धब्बा हो तो व्यक्ति को पीलिया रोग हो सकता है।

फेफड़े का रोग- मस्तिष्क रेखा पर शनि क्षेत्र के नीचे जंजीर जैसी आकृति हो तो व्यक्ति को फेफड़े तथा गले की बीमारी हो सकती है।

क्षय रोग- जिस व्यक्ति की हथेली में नाखून ऊंचे हो और मस्तिष्क रेखा शनि पर्वत से बुध पर्वत तक पंखदार होकर जा रही है तो व्यक्ति को क्षय रोग (टीबी) होने की संभावनाएं रहती हैं।

मिर्गी रोग- यदि उंगलियां टेढ़ी व नुकिली हो और उंगलियों के नीचे के पर्वत दबे हुए हों, नाखून लाल हो या उन पर छोटे चिह्न हों तो मिर्गी रोग हो सकता है।

पैर से संबंधित रोग- जिस वयक्ति की हथेली मे शनि पर्वत उच्च हो एवं रेखाएं भी अधिक हों तथा मस्तिष्क रेखा शनि पर्वत के नीचे टूट जाए तो व्यक्ति को पैरों में दर्द अथवा पैर से संबंधित रोग हो सकते हैं।

गठिया रोग- यदि व्यक्ति की स्वास्थ्य रेखा घिसी हुई सी छिन्न-भिन्न हो एवं चंद्र पर्वत से एक रेखा निकलकर आयु रेखा को काटती जाए तो गठिया रोग हो सकता है।

जलोदर- यदि चंद्र पर्वत पर नक्षत्र चिह्न हो और चंद्र पर्वत के नीचे का भाग उच्च होकर अनेक रेखाओं से कटा हुआ हो एवं उस पर भी नक्षत्र चिह्न हो तो व्यक्ति को जलोदर रोग हो सकता है।

एसिडिटी- चंद्र पर्वत अधिक उन्नत हो तो एसिडिटी रोग होने की संभावनाएं रहती हैं।

त्वचा रोग- यदि व्यक्ति के नाखून बासुंरी आकार के हो एवं हथेली की त्वचा कोमल हो तो व्यक्ति को त्वचा रोग हो सकते हैं।

लकवा रोग- नाखून छोटे व त्रिकोणाकार हों और शनि पर्वत उच्च होकर कई रेखाओं से कटा हुआ हो और उस पर नक्षत्र का चिह्न हो तथा चंद्र पर्वत पर जाल हो, मुख्य रेखाएं भी शुभ न हो तो व्यक्ति को लकवा रोग हो सकता है।

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