Seen by डॉ. अश्विनी पाण्डेय at 10:38 AM

अस्त ग्रह के बारे में एक तथ्य यह है कि अस्त स्थान विशेष पर ही होता है, पूरे संसार में नहीं होता। सूर्य रात्रि में भी अस्त नहीं होता और चन्द्रमा (अमावस्या के अलावा) दिन में भी उदित होता है, हालांकि पृथ्वी के उस विशेष हिस्से में ये दिखते भी नहीं, इसी प्रकार दूसरे ग्रहों को जो सूर्य के नज़दीक हों को उनको भी सूर्य के सामीप्य होने के कारण ही अस्त मानकर शुभाशुभ फल कथन किया जाता है। वास्तव में अस्त जैसी कोई अवस्था होती ही नहीं, ये स्थिति मात्र स्थान विशेष पर होती है। “निरुक्तौ ग्रहस्येति नित्योदयस्तौ इनासन्नभावेन यौ तौ च वक्ष्यौ। ।। सि. शि. भास्कराचार्य।। अतः जहां पर यह अस्त होता प्रतीत होता है या नही दिखता है वही पर इसका प्रभाव पड़ता है। तद् राशि पर उसका फल शास्त्रोक्त रीति से पड़ता है