आंखों से जानिये व्यक्तित्व
सामुद्रिक शास्त्र, भारतीय ज्योतिष का एक प्रमुख अंग है। इसके आधार पर विभिन्न अंगों की सरंचना को देख कर व्यक्ति के बारे में बताया जा सकता हैं। आंखें हमारे हृदय का आईना होती है आंखों की जुबान नहीं होती, फिर भी वे बहुत कुछ कह जाती हैं। आंखों से ही घृणा, प्रेम, क्रोध, करूणा, वात्सल्य, विश्वास, भय, ग्लानि, क्रूरता, कर्मण्यता या निरीहता, चालाकी या सरलता आदि अनेक मनोभाव प्रकट हो जाते हैं। दरअसल आंखें ही मन और मस्तिष्क की प्रतिबिंब हैं। इसलिए इनसे व्यक्ति के चरित्र, सोच और स्वभाव की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।अगर गहराई से देखा जाए तो ज्ञात होगा कि किसी की आंखों में स्वाभाविक मादकता छलकती हैं तो किसी की नजरें तेज सूई सी चुभती प्रतीत होती हैं। किसी की आंखों से सरलता और प्रेम प्रदर्शित होता है तो किसी की आंखों में नैसर्गिक कुटिलता का भाव प्रकट होता है।
सामुद्रिक शास्त्र में आंखों की बनावट, आकार-प्रकार, चेहरे पर उनकी स्थिति, रंग और चंचलता, गति आदि के आधार पर मनुष्य के स्वभाव या चरित्र के अध्ययन का विधान है। इसके आधार पर यह तय किया जा सकता है कि अमुक व्यक्ति क्रूर या कपटी है अथवा शांत, निश्छल, स्वार्थी या परोपकार की भावना से पूरित है। आंखें मन के अंदर छिपी सैक्स की भावना को भी बताने में सहायक हैं।
आंखों का छोटा बड़ा होना भी हमारे व्यक्तित्व की विशेषता तथा कमी को प्रकट करता है| बंदर जैसी छोटी आंखों वाले विस्तृत और अशांत प्रकृति के होते हैं| छोटी आंखों वाली स्त्रियों चंचल होती हैं| वे गंभीर, अविश्वासी, कंजूस, और रूढ़िवादी विचारों के होते हैं| दिखावा नहीं करती
बातचीत करते वक्त कनखियों से देखने वाला व्यक्ति स्वार्थी होता है|
यदि किसी की दोनों आंखें करीब हो और वह तिरछी आंखों से देखने वाला हो तो उस पर विश्वास ना करें| स्त्रियों के बारे में कहा जाता है कि ऐसी स्त्रियां अंतर्मुखी होती है|
एक आंख वाला व्यक्ति अत्यंत ही स्वार्थी होता है| यदि किसी स्त्री की बाईं आंख कानी हो स्त्री खराब मानी जाती है और यदि किसी स्त्री की दाईं आंख कानी हो तो उस स्त्री को संतान सुख से वंचित रहना पड़ता है|
नेत्रों से नेत्र मिला कर बात करने वाला व्यक्ति सदैव दबंग प्रकृति का तथा स्पष्ट वक्ता होता है| वही आंखें चुरा कर बात करने वाला व्यक्ति डरपोक प्रकृति का होता है|
आंखों के नीचे काले निशान व्यक्ति की कामुकता को प्रकट करते हैं|
जिस स्त्री के नेत्र की पुतलियां काली हो तो वह भौतिक सुखों का भरपूर उपयोग करती है|
इसी प्रकार जिसके नेत्र के समान हो वह नारी निष्ठावान होती है|
गोल और बिल्ली के समान आंखों वाली स्त्री कुटिल और दुराचारिणी होती है|
जो स्त्री बात करते समय आंख दबाकर बात करती हो वह अवश्य ही चरित्रहीन होती है|
धसे हुए नेत्र वाली स्त्री चंचल, भरी पलकों वाली स्त्री वाचाल तथा नुकीले नेत्र वाली स्त्री कार्यकुशल होती है|
पुरुषों में हाथी की आंखो जैसी संकुचित आंखें व्यवस्थित जीवन शैली तथा
मछली जैसी आंखों की पुतलियां ऊपर की ओर पड़ी हुई या नीचे की ओर झुकी हो तो व्यक्ति अस्थिर, लालची प्रवृत्ति का होता है|
जिस स्त्री के नेत्रों में लालिमा हो वह निसंदेह दुराचारिणी और निष्ठा हीन होती है| यदि किसी महिला के नेत्र अधिक लालिमा लिए हों तो वह स्त्रियां झगड़ालू, क्रोधी व पति के लिए घातक सिद्ध होती हैं।
जिस महिला के नेत्र चंचल या इधर-उधर देखती रहती हो ऐसी स्त्रियां व्यभिचारिणी प्रकृति की होती हैं परन्तु उनका विवाह अच्छे कुल में होता है वह बहुत ज्यादा किसी से उम्मीद न रखे अन्यथा धोखा मिलने की आशंका रहती है।
जिस महिला के नेत्र गोल हो वह स्त्री मांसाहारी व तेज-तर्रार होती है परन्तु अपने गुणों के कारण समाज में मान-सम्मान पाती है। ऐसी स्त्रियां सम्बन्धों के मामले में काफी सक्रिय होती हैं।
यदि किसी महिला के नेत्र छोटे होते है वह अपने पति की बात न मानने वाली तथा परिवार में विघटन करने वाली होती है। ऐसी महिलाएं प्रत्येक रिश्तों को स्वार्थ की वजह से चलाती हैं।
जिस स्त्री की पलकी सदैव नीचे की ओर झुकी होती हैं वह स्त्री सौभाग्यवती व सुन्दर पुत्र को जन्म देने वाली होती है। ऐसे महिलाएं अपने परिवार को आगे बढाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
जिस महिला के नेत्र लम्बे व कान की तरफ बढे हुए हो वह महिला लक्ष्मी का अवतार मानी जाती हैं। ऐसी स्त्रियां अपने कर्मो के द्वारा परिवार में सुख व समृद्धि लाती हैं।
जिस स्त्री की पलकें बड़ी तथा आंखें काली होती हैं ऐसी स्त्रियां जिस क्षेत्र में जाती हैं उस क्षेत्र में प्रसिद्धि और सम्मान पाती हैं। ऐसी महिलाओं का पारिवारिक व सामाजिक जीवन बेहतर तरीके से व्यतीत होता है।
आंखों के रंगों महत्व
जिस महिला के नेत्र पीले हो वह माता-पिता के नाशक होती हैं तथा उसे पेट रोग से हमेशा दिक्कत बनी रहती है। पीली, ऊंची आंखों वाली स्त्रियों के चरित्र संदेहास्पद होते हैं| अक्सर पीली आंखों को प्रचंड काम शक्ति की सूचक माना जाता है|
वेश्यावृत्ति करने वाली स्त्रियों की आंखें शहद के रंग की होती हैं|
काली आंखों वाले उदार होते हैं|
भूरे रंग की आंखों वाली महिलायें झूठ बोलने वाली होती है तथा अपने सास-ससुर की सेवा नहीं करती हैं। ऐसी महिलाएं काफी चालाक होती हैं।
जिस महिला के नेत्र सफेद रंग के होते हैं ऐसी महिला विदुषी तथा सरकारी नौकरी करने वाली होती हैं। इनका पारिवारिक जीवन अच्छे तरीके से व्यतीत होता है। श्वेत आंखें व्यक्ति के व्यक्तित्व में चार चांद लगाती हैं| ऐसा व्यक्ति शांतिप्रिय लोकप्रिय, विचारवान, न्याय प्रिय प्रतिभाशाली दयालु एवं धार्मिक और चतुर होता है|
नीली आंखों वाले व्यक्ति चपल, कामासक्त एवं सुंदर होते हैं|
लाल आंखों वाले लोग अभिमानी कामुक, क्रोध, स्वार्थी, वफादारी और अशांत और जिद्दी होते हैं|
आंखों पर ग्रहों का प्रभाव
जिस तरह किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व उसके चेहरे से परखा जा सकता है, उसी तरह उसके अंगों पर उसके ग्रहों का प्रभाव भी पूर्णता देखा जा सकता है|
सूर्य, मंगल एवं शनि के अशुभ प्रभाव से व्यक्ति अंधा, तथा सूर्य और मंगल के अशुभ प्रभाव से आंखों की रोशनी कम होती है|
शुभ ग्रह वाले व्यक्ति की आंखें विशाल, धारदार एवं आकर्षक होती हैं| वह प्रतिभाशाली, उदार और लोगों का आदर भी करते हैं|
गुरु के अशुभ प्रभाव से आंखों का तेज कम हो जाता है और देखने में तकलीफ होती है|
सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार छोटी, संकुचित और गहरी आंखों वाले व्यक्ति पर शनि ग्रह का प्रभाव होता है| शनि से प्रभावित व्यक्ति की आंखें गहरी होती हैं| वह उदास, एकांतप्रिय और भाव शून्य होतें है| किंतु ये दृढ़ मनोबल वाले भी होता हैं|
सूर्य प्रधान व्यक्ति की आंखें बादाम की आकार की और नुकीली होती हैं| ऐसे व्यक्ति का व्यक्तित्व प्रभावशाली होता है| उसे समाज में प्रतिष्ठा मिलती है|
बुध प्रधान व्यक्ति की आंखे सुन्दर और मोहक तथा अशुभ बुध वाले व्यक्ति की आंखें पढ़ते समय कमजोर हो जाती हैं|
मंगल से प्रभावित व्यक्ति की आंखें बड़ी, काली या भूरी होती है| अशुभ प्रभाव होने पर व्यक्ति की आंखों में सूजन होती है| सुख प्रदान व्यक्ति कुछ कर गुजरने वाले तथा दूसरों के का भला चाहने वाले और त्याग भावना से भरे हुए होते हैं|
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