समाचार June 4, 2019
मेरे द्वारा सम्पादित पुस्तक चलन कलन का संक्षिप्त परिचय आप सभी के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ –
भारत में केरल के महान गणितज्ञ माधव ने चौदहवीं शताब्दी में कैलकुलस के कई महत्वपूर्ण अवयवों की चर्चा की और इस प्रकार कैलकुलस की नींव रखी। उन्होने टेलर श्रेणी, अनन्त श्रेणियों का सन्निकटीकरण (Infinite Series Approximations), अभिसरण (कन्वर्जेंस) का इन्टीग्रल टेस्ट, अवकलन का आरम्भिक रूप, अरैखिक समीकरणों के हल का पुनरावर्ती (इटरेटिव) हल, यह विचार कि किसी वक्र का क्षेत्रफल उसका समाकलन होता है, आदि विचार (संकल्पनाएं) उन्होने बहुत पहले लिख दिया।फर्मा तथा जापानी गणितज्ञ से की कोवा ने भी इसमें योगदान दिया। वर्तमान समय में (1880 )सुधाकर द्विवेदी जी ने चलन कलन को ज्योतिषीय गणना में शामिल कर भारतीय ज्ञान विज्ञान को सुदृढ़ किया |
यह पुस्तक विगत कई दशकों से अप्रकाशित रही इसी कारण हमने कुछ विशेष व्याख्याओं के साथ आधुनिक रूप से प्रस्तुत करते हुये प्रकाशित कराया इस पुस्तक की प्रस्तावना एवं शुभाशंसा राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित पूज्यगुरुवर प्रो. रामचन्द्र पाण्डेय जी के द्वारा लिखा गया है तथा प्राक्कथन #IITBHU Mathematical Department के Institute Professor Dr. K. N. Rai ji द्वारा लिखा गया है|
“ना किसी राह पर ना किसी रहगुज़र से निकलेगा
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा |
इसी गली में वो बूढ़ा फकीर रहता था
तलाश कीजिए खजाना यहीं से निकलेगा||”
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