सोलह कला

                        “सोलह कला”:- श्रीराम बारह और भगवान कृष्ण सोलह कलाओं के स्वामी माने गए हैं … भगवान श्रीकृष्ण के बारे में कहा जाता था कि वह संपूर्णावतार थे और मनुष्य में निहित सभी सोलह कलाओं के स्वामी थे। यहां पर कला शब्द का प्रयोग किसी ‘आर्ट’...

वज्रसुचिकोपनिषद

                      वज्रसुचिकोपनिषद ( वज्रसूचि उपनिषद् ) यह उपनिषद सामवेद से सम्बद्ध है ! इसमें कुल ९ मंत्र हैं ! सर्वप्रथम चारों वर्णों में से ब्राह्मण की प्रधानता का उल्लेख किया गया है तथा ब्राह्मण कौन है, इसके लिए कई प्रश्न किये गए हैं ! क्या ब्राह्मण जीव है...

प्रभु श्रीराम के राज्याभिषेक के समय वेदों द्वारा की गई प्रभुश्रीराम की स्तुति भावार्थ सहित

                      प्रभु श्रीराम के राज्याभिषेक के समय वेदों द्वारा की गई प्रभुश्रीराम की स्तुति भावार्थ सहित मित्रों बहुत बहुत फलदायी स्तुति है, इसे अपने पूजापाठ में सम्मिलित करें। जय सगुन निर्गुन रूप रूप अनूप भूप सिरोमने। दसकंधरादि प्रचंड निसिचर प्रबल खल भुज...

भारतीय संस्कृति के विकास एवं संरक्षण में आद्य शंकराचार्य का विशेष योगदान रहा है

                                  भारतीय संस्कृति के विकास एवं संरक्षण में आद्य शंकराचार्य का विशेष योगदान रहा है। आचार्य शंकर का जन्म पश्चिम के इतिहासकार समुदाय के द्वारा वैशाख शुक्ल पंचमी तिथि ई. सन् ७८८ को तथा मोक्ष ई. सन् ८२० स्वीकार किया जाता है, परंतु...

कुमारसम्भव

                        #कुमारसम्भव सत्रह सर्गों का महाकाव्य है।* मान्यता है कि कालिदास ने आठ सर्गों तक ही इस महाकाव्य की रचना की थी किन्तु विचारणीय विन्दु यह है कि 8सर्ग के बाद के भी श्लोक कालिदास की परिकल्पना के अनुरूप (भाषा एवं अलंकार )ही रचे गये हैं |अतः हम...

कन्या कुमारी की कथा

                            कन्या कुमारी की कथा 🔸🔸🔹🔹🔸🔸 इस जगह का नाम कन्‍याकुमारी पड़ने के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने असुर बाणासुर को वरदान दिया था कि कुंवारी कन्या के अलावा किसी के हाथों उसका वध नहीं होगा। प्राचीन काल में भारत पर...