मकान की नींव में सर्प और कलश क्यों गाड़ा जाता है?

                                                  मकान की नींव में सर्प और कलश क्यों गाड़ा जाता है? श्रीमद्भागवत महापुराण के पांचवें स्कंध में लिखा है कि पृथ्वी के नीचे पाताल लोक है और इसके स्वामी शेषनाग हैं। भूमि से दस हजार योजन नीचे अतल, अतल से दस हजार योजन...

सव्यसाची अर्जुन : एक प्रसंग

                          तस्मात्त्वमुत्तिष्ठ यशो लभस्व जित्वा शत्रून् भुङ्क्ष्व राज्यं समृद्धम्। मयैवैते निहताः पूर्वमेव निमित्तमात्रं भव सव्यसाचिन्।।गी. 11.33।। प्रथम अर्थ – इसलिये तुम युद्धके लिये खड़े हो जाओ और यशको प्राप्त करो तथा शत्रुओंको जीतकर धनधान्यसे...

श्रीमद्भागवत महापुराण, महात्म्य वर्णन, विप्रमोक्ष

                देहेऽस्थिमांसरुधिरेऽभिमतिं त्यज त्वं जाया सुतादिषु सदा ममतां विमुञ्च। पश्यानिशं जगदिदं क्षणभंगनिष्ठं, वैराग्य राग रसिको भव भक्ति निष्ठः।।७९।। धर्मं भजस्व सततं त्यज लोकधर्मान्, सेवस्व साधु पुरुषां जहि कामतृष्णाम्। अन्यस्यदोषगुण चिन्तनमाशु मुक्त्वा, सेवा...

आर्य, आर्यावर्त, हिन्दू और सनातन का रहस्य जानिए.

                          आर्य, आर्यावर्त, हिन्दू और सनातन का रहस्य जानिए… आर्यों को कुछ विद्वान विदेशी मानते हैं और कुछ देशी। जो विदेशी मानते हैं उनमें अंग्रेज और वामपंथी इतिहाकारों के अलावा इनका अनुसरण करने वाले भी शामिल हैं और जो लोग देशी मानते हैं उनमें भी...

स्नान पूर्णिमा

                                          स्नान पूर्णिमा ज्येष्ठ मास में गर्मी का आरम्भ होता है, अतः पुरी में श्रीजगन्नाथ जी के चतुर्धा विग्रह को स्नान कराया जाता है। १०८ घड़ों से स्नान के बाद उनको ज्वर हो जाता है, तथा १५ दिन बीमार रहने पर उनकी चिकित्सा होती है। उसके...

काशी में हुऐ कुछ ऐतिहासिक शास्त्रार्थ :~

                              काशी में हुऐ कुछ ऐतिहासिक शास्त्रार्थ :~ “वादे-वादे जायते तत्वबोधः” प्राचीनकाल से ही काशी में प्रतिदिन शास्त्रसभा का आयोजन होता था।सभा में विराजमान शास्त्रमहारथी पहले शास्त्रार्थ करते थे तत्पश्चात् दक्षिणा ग्रहण करते...