।।भगवान सूर्य।।

                                ।।भगवान सूर्य।। वैदिक और पौराणिक आख्यानों के अनुसार भगवान श्री सूर्य समस्त जीव-जगत के आत्मस्वरूप हैं। ये ही अखिल सृष्टि के आदि कारण हैं। इन्हीं से सब की उत्पत्ति हुई है। पौराणिक सन्दर्भ में सूर्यदेव की उत्पत्ति के अनेक प्रसंग प्राप्त...

गुरु भक्ति “गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वर:। गुरुःसाक्षात्परब्रह्म,तस्मै श्रीगुरवे नमः ।।

गुरु भक्ति “गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वर:। गुरुःसाक्षात्परब्रह्म,तस्मै श्रीगुरवे नमः ।।” अर्थात गुरु ही ब्रह्मा, विष्णु, महेश है । परंतु उससे भी ऊपर परब्रह्म है । और उनसे भी ऊपर साक्षात् मौजूद प्रत्यक्ष गुरुदेव है । सत्संग में सन्तजन जी...

ज्योतिष शास्त्र और वैवाहिक योग

                      *ज्योतिष शास्त्र और वैवाहिक योग- १:-सप्तम भाव या सप्तम से सम्बन्ध रखने वाले ग्रह की महादशा या अन्तर्दशा में विवाह होता है.! २:- कन्या की कुन्डली में शुक्र से सप्तम और पुरुष की कुन्डली में गुरु से सप्तम की दशा में या अन्तर्दशा में विवाह होता है.!...

याग का चयन

याग का चयन- मुनिवरों! आज हम तुम्हारे समक्ष, पूर्व की भांति, कुछ मनोहर वेदमन्त्रों का गुणगान गाते चले जा रहे थे, ये भी तुम्हें प्रतीत हो गया होगा, आज हमने पूर्व से, जिन वेदमन्त्रों का पठन-पाठन किया, हमारे यहाँ, परम्परागतों से ही, उस मनोहर वेदवाणी का प्रसारण होता रहता...

रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम्।

रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम्। नीच केतु व्यक्ति को मतिभ्रम का शिकार बनाता है और अपराध के गर्त में धकेलता है। ऐसे व्यक्ति सच्चाई की राह छोड़कर हमेशा गलत रास्ता अपनाते हैं। अच्छी बातें और अच्छे लोग उन्हें भाते नहीं इसलिए कभी भी सच्चाई से अवगत नहीं हो...

केतु ग्रह का फल- रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तम्केतुम् प्रणमाम्य्हम।

केतु ग्रह का फल- रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तम्केतुम् प्रणमाम्य्हम।“ नीच केतु व्यक्ति को मतिभ्रम का शिकार बनाता है और अपराध के गर्त में धकेलता है। ऐसे व्यक्ति सच्चाई की राह छोड़कर हमेशा गलत रास्ता अपनाते हैं। अच्छी बातें और अच्छे लोग उन्हें भाते नहीं इसलिए कभी भी सच्चाई...