शीतकालीन स्नान मीमांसा

विषय – शीतकालीन स्नान मीमांसा वैदिक काल से ही भारतवर्ष में प्रातः कालीन स्नान नित्यकर्म का प्रमुख भाग है। हड़प्पा सभ्यता में भी प्रायः सभी गृहों में स्नानागार की समुचित व्यवस्था का उल्लेख मिलता है और इसके कई प्रमाणभी  प्राप्त हुए हैं। चरक संहिता में प्रातःकालीन...

बुधप्रदोष व्रत परिचय एवं प्रदोष व्रत विस्तृत विधि

बुधप्रदोष व्रत परिचय एवं प्रदोष व्रत विस्तृत विधि प्रत्येक चन्द्र मास की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखने का विधान है. यह व्रत कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों को किया जाता है. सूर्यास्त के बाद के 2 घण्टे 24 मिनट का समय प्रदोष काल के नाम से जाना जाता है. प्रदेशों...

शरद-पूर्णिमा की खीर

शरद-पूर्णिमा की खीर भगवान ने भी कहा है,’पुष्णामि चौषधीः सर्वाः सोमो भूत्वा रसात्मकः।।’ ‘रसस्वरूप अर्थात् अमृतमय चन्द्रमा होकर सम्पूर्ण औषधियों को अर्थात् वनस्पतियों को पुष्ट करता हूं।’ (गीताः15.13) हमारे शास्त्रों में अनेक मान्यताएं है जिनके...

दशहरे पर शमी के वृक्ष पूजन का महत्व

हिन्दू परंपरा में इस वृक्ष का खास महत्व है। दशहरे पर शमी के वृक्ष का पूजन किया जाता है और इसकी पत्तियां एक दूसरे को बांटी जाती है। आखिर शमी पूजन का क्यों है इतना महत्व आओ जानते हैं 6 खास बातें। इस वृक्ष के पूजन से शनि प्रकोप शांत हो जाता है क्योंकि यह वृक्ष शनिदेव का...

शिवलिंग की पूजा समस्त ब्रह्मांड की पूजा के बराबर मानी जाती है

मान्यता है कि शिवलिंग की पूजा समस्त ब्रह्मांड की पूजा के बराबर मानी जाती है, क्योंकि शिव ही समस्त जगत के मूल हैं। शिवलिंग के शाब्दिक अर्थ की बात की जाए तो ‘शिव’ का अर्थ है ‘परम कल्याणकारी’ और ‘लिंग’ का अर्थ होता है ‘सृजन’। लिंग का अर्थ संस्कृत में चिंह या प्रतीक होता...

ग्रहों की शांति के उपाय

ग्रहों की शांति के लिए मुख्य रूप से दो प्रकार के उपाय किए जाते हैं- रत्न धारण एवं दान। जिस ग्रह से संबंधित रत्न धारण किया जाता है वह ग्रह उस जातक के जीवन में अधिक प्रभावषाली हो जाता है तथा जिस ग्रह से संबंधित दान किया जाता है उस ग्रह विषेष से होने वाली हानि का शमन...