जन्मभूमि की महत्ता

                              ‘जननी-जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’ अर्थात् जननी (माता) और जन्मभूमि का स्थान स्वर्ग से भी श्रेष्ठ एवं महान है । हमारे वेद पुराण तथा धर्मग्रंथ सदियों से दोनों की महिमा का बखान करते रहे हैं । माता का प्यार, दुलार व वात्सल्य अतुलनीय है। इसी...

गुरु भक्ति “गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वर:। गुरुःसाक्षात्परब्रह्म,तस्मै श्रीगुरवे नमः ।।

गुरु भक्ति “गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वर:। गुरुःसाक्षात्परब्रह्म,तस्मै श्रीगुरवे नमः ।।” अर्थात गुरु ही ब्रह्मा, विष्णु, महेश है । परंतु उससे भी ऊपर परब्रह्म है । और उनसे भी ऊपर साक्षात् मौजूद प्रत्यक्ष गुरुदेव है । सत्संग में सन्तजन जी...

!! कृतघ्नता एकमहापाप !!

!! कृतघ्नता एकमहापाप !! शास्त्रों में यदि किसी पाप के प्रायश्चित का विधान नहीं है तो वो एक मात्र पाप है कृतघ्नता । किसी के किये बड़े से बड़े उपकार को न मानना उसके साथ विश्वास घात करना इसे ही कृतघ्नता कहा जाता है ‘ कृतं परोपकारं हन्तीति कृतघ्न:’ । प्रत्येक...

शीतकालीन स्नान मीमांसा

विषय – शीतकालीन स्नान मीमांसा वैदिक काल से ही भारतवर्ष में प्रातः कालीन स्नान नित्यकर्म का प्रमुख भाग है। हड़प्पा सभ्यता में भी प्रायः सभी गृहों में स्नानागार की समुचित व्यवस्था का उल्लेख मिलता है और इसके कई प्रमाणभी  प्राप्त हुए हैं। चरक संहिता में प्रातःकालीन...

भारतीय दर्शन में प्रमाण उसे कहते हैं जो सत्य ज्ञान करने में सहायता करे

प्रमाण( Evidence) – भारतीय दर्शन में प्रमाण उसे कहते हैं जो सत्य ज्ञान करने में सहायता करे। अर्थात् वह बात जिससे किसी दूसरी बात का यथार्थ ज्ञान हो। प्रमाण न्याय का मुख्य विषय है। ‘प्रमा’ नाम है यथार्थ ज्ञान का। यथार्थ ज्ञान का जो करण हो अर्थात् जिसके...

आत्मा क्या है और परमात्मा क्या है इसे समझने से ही परमात्मा मिलन संभव है ।

            आत्मा क्या है और परमात्मा क्या है इसे समझने से ही परमात्मा मिलन संभव है । आत्मा क्या है, परमात्मा क्या है, इन दोनों का आपस में सबन्ध क्या है- इस विषय का नाम अध्यात्मवाद है । आत्मा और परमात्मा दोनों ही भौतिक पदार्थ नहीं हैं। इन्हें आँख से देखा नहीं जा सकता,...