शिवलिंग की पूजा समस्त ब्रह्मांड की पूजा के बराबर मानी जाती है

मान्यता है कि शिवलिंग की पूजा समस्त ब्रह्मांड की पूजा के बराबर मानी जाती है, क्योंकि शिव ही समस्त जगत के मूल हैं। शिवलिंग के शाब्दिक अर्थ की बात की जाए तो ‘शिव’ का अर्थ है ‘परम कल्याणकारी’ और ‘लिंग’ का अर्थ होता है ‘सृजन’। लिंग का अर्थ संस्कृत में चिंह या प्रतीक होता...

महाराज रघु और रघुकुल

महाराज रघु और रघुकुल तमध्वरे विश्वजिति क्षितीशं निःशेषविश्राणितकोशजातम् उपात्तविद्यो गुरुदक्षिणार्थी कौत्सः प्रपेदे वरतन्तुशिष्यः।। रघुवंशमहाकाव्यम् *अध्यायः५श्लोक:१।। अयोध्या नरेश रघु (Raja Raghu) के पिता का दिलिप और माता का नाम सुदक्षिणा था। इनके प्रताप एवं न्याय के...

साधकों के लिए कल्पवृक्ष–“एकादशमुखहनुमत्कवच”

साधकों के लिए कल्पवृक्ष–“एकादशमुखहनुमत्कवच” यह एकादशमुख हनुमत्कवच साधकों के लिए सौम्य तथा शत्रुसमूह का विशेष संहारक है । यह कवच सम्पूर्ण राक्षसों का विध्वंसक होने से “रक्षोघ्न” कवच के नाम से प्रसिद्ध है । “रक्षोघ्नसूक्त” तो...

क्या दैवीय शक्तियां हमारी मदद करती हैं?

क्या दैवीय शक्तियां हमारी मदद करती हैं? ******************************** – इन संकेतों से आप कर सकते हैं आभास ============================= दुनिया में बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हें उनके जीवन में दैवीय सहायता मिलती है। किसी को ज्यादा तो किसी को कम। कुछ तो ऐसे हैं...

नरत्वं दुर्लभं लोके विद्या तत्र सुदुर्लभा।

नरत्वं दुर्लभं लोके विद्या तत्र सुदुर्लभा। कवित्वं दुर्लभं तत्र शक्ति स्तत्र सुदुर्लभा।। इस पृथ्वी पर मनुष्य योनि दुर्लभ है, मनुष्य में भी विद्या अत्यधिक दुर्लभ है, विद्या के साथ काव्य शक्ति का दुर्लभ होना और उससे भी दुर्लभ इन सभी कार्यों को करने की शक्ति का नितांत...

तीन सवाल

एक बार एक राजा था। एक दिन वह बड़ा प्रसन्न मुद्रा में था सो अपने वज़ीर के पास गया और कहा कि तुम्हारी जिंदगी की सबसे बड़ी ख़्वाहिश क्या हैं? वज़ीर शरमा गया और नज़रे नीचे करके बैठ गया। राजा ने कहा तुम घबराओ मत तुम अपनी सबसे बड़ी ख़्वाहिश बताओ। वज़ीर ने राजा से कहा हुज़ूर...