शिव के पंचमुख स्वरूप- एकरहस्य~

        शिव के पंचमुख स्वरूप- एकरहस्य~ जगत के कल्याण की कामना से भगवान सदाशिव के विभिन्न कल्पों में अनेक अवतार हुए जिनमें उनके सद्योजात, वामदेव, तत्पुरुष, अघोर और ईशान अवतार प्रमुख हैं । ये ही भगवान शिव की पांच विशिष्ट मूर्तियां हैं । भगवान शिव का विष्णुजी से अनन्य...

स्वस्ति वाचन ~ एक मंगलवैदिक गान –

                                  स्वस्ति वाचन ~ एक मंगलवैदिक गान – प्राय: हमसभी स्वस्ति वाचन सुनते है आज आप सभी के समक्ष प्रस्तुत करते है। आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतोऽदब्धासो अपरीतास उद्भिदः। देवा नोयथा सदमिद् वृधे असन्नप्रायुवो रक्षितारो दिवेदिवे॥ अर्थ...

महादेव और गौ भक्ति

                      महादेव और गौ भक्ति श्री कृष्ण की लीलाओ में गौ माता को प्रधान स्थान रहा है। भगवान् विष्णु जैसे महान् गौ भक्त है उसी प्रकार श्री शंकर भी महान गौ भक्त है। पुराणों में उपलब्ध भगवान् शिव की गौ भक्ति दर्शाने वाले कुछ प्रसंग यहाँ दिए जा रहे है। एक बार...

धर्मो रक्षति रक्षितः-

                          धर्मो रक्षति रक्षितः- यह मनुस्मृति अध्याय ८ का १५ वां श्लोक है, जो पूरा इस प्रकार से है- धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः। तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत्।। (मनुस्मृति ८/१५) धर्म का लोप कर देने से वह लोप करने वालों का नाश...

भगवान श्रीकृष्ण का अवतार : एक धर्मयुद्ध

                          भगवान श्रीकृष्ण का अवतार : एक धर्मयुद्ध प्रत्येक देश और जाति में ऐसे समय आया करते हैं जब कि उन में ऐसे पुरुष उत्पन्न होते हैं। जो ईर्ष्या, द्वेष, स्वार्थ कदाचार तथा कायरता के भावों से भरपूर होते हैं। वे समय उस देश और जाति के पतन के सूचक होते...

रथ यात्रा : जगन्नाथ पुरी

                                      रथ यात्रा : जगन्नाथ पुरी प्रायः २०,००० वर्षों से श्री जगन्नाथ कई रथ यात्रा का आयोजन हो रहा है, तत्त्व रूप में अनादि और अनन्त है। यह ब्रह्म के स्रष्टा रूप की प्रतिमा है जिसे अव्यय या यज्ञ पुरुष कहते हैं। इसके आधिदैविक (आकाश में),...