वज्रसुचिकोपनिषद

                      वज्रसुचिकोपनिषद ( वज्रसूचि उपनिषद् ) यह उपनिषद सामवेद से सम्बद्ध है ! इसमें कुल ९ मंत्र हैं ! सर्वप्रथम चारों वर्णों में से ब्राह्मण की प्रधानता का उल्लेख किया गया है तथा ब्राह्मण कौन है, इसके लिए कई प्रश्न किये गए हैं ! क्या ब्राह्मण जीव है...

नारायण शब्द में दो पद हैं – नार पूर्वपद है और अयन उत्तरपद |

            नारायण शब्द में दो पद हैं – नार पूर्वपद है और अयन उत्तरपद | ‘नार’ पद के विविध दृष्टियों से विविध अर्थ हैं , जो आगे प्रस्तुत किये जायेंगे | प्रथम अयन शब्द पर विचार करते हैं | ‘अयन’ पद इण गतौ (अदादिगणीय ३५४ ) अथवा अय गतौ (भ्वादिगणीय ४७० ) धातु से भाव या...

क्या होता है ‘वैष्णव’ व ‘स्मार्त’ में भेद

                  क्या होता है ‘वैष्णव’ व ‘स्मार्त’ में भेद **************************** कई लोग पर्व अलग-अलग दिन मनाते हैं। उनकी बात सुनकर लोग अचरज में पड़ जाते हैं। कुछ लोग स्मार्त व वैष्णव सम्प्रदाय के बारे में भी जानने की उत्सुकता व्यक्त करते...

कालिदास त्रयी-३ मुख्य कालिदास थे तथा अन्य ३ का उपनाम कालिदास था

                         अरुण उपाध्याय जी की कलम से – कालिदास त्रयी-३ मुख्य कालिदास थे तथा अन्य ३ का उपनाम कालिदास था। तीन कालिदासों का उल्लेख राजशेखर की काव्य मीमांसा में किया है, जल्हण की सूक्ति मुक्तावली तथा हरि कवि की सुभाषितावली मे भी- एकोऽपि जीयते...

ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की महादशा के अनुसार फल

            ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की महादशा के अनुसार फल जन्म कुंडली से हम यह जानकारी करते है की कोनसे ग्रह की महादशा समस्या पैदा कर रही तो उस ग्रह का उपाय करना चाहिए, अनुकूल और प्रतिकूल दोनों ग्रहों की महादशा का उपाय करना चाहिए, ग्रह हमारे अनुकूल है या...

विद्या के मुख्य २ विभाग हैं-परा विद्या या विद्या, अपरा विद्या या अविद्या

विद्या विभाग-विद्या के मुख्य २ विभाग हैं-परा विद्या या विद्या, अपरा विद्या या अविद्या। अविद्या का अन्य अर्थ है, विद्या का अभाव। इसी को ज्ञान और विज्ञान भी कहते हैं। विद्या या ज्ञान का अर्थ है एकत्व या समन्वय। सबके लिए भाषा या शब्दों के एक अर्थ हों, या विज्ञान के नियम...