शिव के पंचमुख स्वरूप- एकरहस्य~

        शिव के पंचमुख स्वरूप- एकरहस्य~ जगत के कल्याण की कामना से भगवान सदाशिव के विभिन्न कल्पों में अनेक अवतार हुए जिनमें उनके सद्योजात, वामदेव, तत्पुरुष, अघोर और ईशान अवतार प्रमुख हैं । ये ही भगवान शिव की पांच विशिष्ट मूर्तियां हैं । भगवान शिव का विष्णुजी से अनन्य...

देवीभागवत में प्रकृतितात्विक खगोलविज्ञान और अयन-रहस्य

        देवीभागवत में प्रकृतितात्विक खगोलविज्ञान और अयन-रहस्य ~ भारतीय प्राचीन संस्कृति के साथ विज्ञान भित्तिक तथ्यों से भरपूर है। हमारे मुनिरुषी कृत पुराण- सम्भार। इन्ही पुराणों में से एक है, विद्वानों के द्वारा बहु चर्चित “देवीभागवत”, जो यथार्थ में...

कालिय नाग

                    कालिय नाग कालिय नाग कद्रू का पुत्र और पन्नग जाति का नागराज था। वह पहले रमण द्वीप में निवास करता था, किंतु पक्षीराज गरुड़ से शत्रुता हो जाने के कारण वह यमुना नदी में कुण्ड में आकर रहने लगा था। यमुनाजी का यह कुण्ड गरुड़ के लिए अगम्य था, क्योंकि इसी...

स्वस्ति वाचन ~ एक मंगलवैदिक गान –

                                  स्वस्ति वाचन ~ एक मंगलवैदिक गान – प्राय: हमसभी स्वस्ति वाचन सुनते है आज आप सभी के समक्ष प्रस्तुत करते है। आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतोऽदब्धासो अपरीतास उद्भिदः। देवा नोयथा सदमिद् वृधे असन्नप्रायुवो रक्षितारो दिवेदिवे॥ अर्थ...

महादेव और गौ भक्ति

                      महादेव और गौ भक्ति श्री कृष्ण की लीलाओ में गौ माता को प्रधान स्थान रहा है। भगवान् विष्णु जैसे महान् गौ भक्त है उसी प्रकार श्री शंकर भी महान गौ भक्त है। पुराणों में उपलब्ध भगवान् शिव की गौ भक्ति दर्शाने वाले कुछ प्रसंग यहाँ दिए जा रहे है। एक बार...

श्रावण मास और शिव पूजनका महत्व

                        श्रावण मास और शिव पूजनका महत्व जिनके हजार नाम और विशेषण हों तो इसी से पता चल जाता है की वही सर्वदाता परमात्मा है। योगियों ने शिवको साधना चतुष्टय के रूप में देखा और उसी आधारपर साधना करते हैं। विद्या,धन, सन्तान,मोक्ष यह साधन चतुष्टय कहा गया है।...