धर्मो रक्षति रक्षितः-

                          धर्मो रक्षति रक्षितः- यह मनुस्मृति अध्याय ८ का १५ वां श्लोक है, जो पूरा इस प्रकार से है- धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः। तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत्।। (मनुस्मृति ८/१५) धर्म का लोप कर देने से वह लोप करने वालों का नाश...

भगवान श्रीकृष्ण का अवतार : एक धर्मयुद्ध

                          भगवान श्रीकृष्ण का अवतार : एक धर्मयुद्ध प्रत्येक देश और जाति में ऐसे समय आया करते हैं जब कि उन में ऐसे पुरुष उत्पन्न होते हैं। जो ईर्ष्या, द्वेष, स्वार्थ कदाचार तथा कायरता के भावों से भरपूर होते हैं। वे समय उस देश और जाति के पतन के सूचक होते...

रथ यात्रा : जगन्नाथ पुरी

                                      रथ यात्रा : जगन्नाथ पुरी प्रायः २०,००० वर्षों से श्री जगन्नाथ कई रथ यात्रा का आयोजन हो रहा है, तत्त्व रूप में अनादि और अनन्त है। यह ब्रह्म के स्रष्टा रूप की प्रतिमा है जिसे अव्यय या यज्ञ पुरुष कहते हैं। इसके आधिदैविक (आकाश में),...

रामचरितमानस की शिक्षा

                                                ‘रामचरितमानस’ की शिक्षा अनादिकाल से सृष्टि में अच्छाई बुराई चली आ रही है। देव-दानव, मानव और राक्षस होते आए हैं। आज भी समाज में राक्षस रूपी मनुष्य दिखाई दे जाते हैं। गोस्वामी तुलसीदास जी ने ‘श्रीरामचरित मानस’ में इन...

महामुनि व्यासवेद के द्वारा निर्मित श्रीमद्भागवतमहापुराण

                                  धर्मः प्रोज्झितकैतवोऽत्र परमो निर्मत्सराणां सतां वेद्यं वास्तवमत्र वस्तु शिवदं तासपत्रयोन्मूलनम्। श्रीमद्भागवते महामुनिकृते किं वा परैरीश्वरः सद्यो हृद्यवरुध्यतेऽत्र कृतिभिः शुश्रूषुभिस्तत्क्षणात्।। श्रीमद्भागवत 1/1/2 संस्कृत...