चन्द्रमा का प्रभाव, महत्त्व, फल तथा उपाय

                            चन्द्रमा का प्रभाव, महत्त्व, फल तथा उपाय ऋग्वेद में कहा गया है कि ‘चन्द्रमा मनसो जातश्चक्षोः सूर्यो अजायत:।‘ अर्थात चंद्रमा जातक के मन का स्वामी होता है। मन का स्वा मी होने के कारण यदि जन्म कुंडली में चंद्रमा की स्थिति ठीक न हो या वह...

रत्न चिकित्सा एक वैज्ञानिकी चेतना

                  आभार हिंद भास्कर का संपादकीय में स्थान देने पर रत्न चिकित्सा ~ एक वैज्ञानिकी चेतना रत्न चिकित्सा ~ एक वैज्ञानिकी चेतना संसार भर में पाये जाने वाले समस्त रत्न अपने में भिन्न भिन्न रंग लिए होते हैं या यूँ कहें कि सभी रत्न भिन्न रंग के होते हैं।...

जन्म कुण्डली में पितृ दोष

                                            मुख्य रूप से जन्म कुण्डली से ही पितृ दोष का निर्णय किया जाता है परंतु स्वप्न में पितृ के दर्शन होना,घर मे किसी के मृत्यु के बाद उनका अहसास होना भी एक प्रकार से पितृदोष ही है । सूर्य आत्मा एव पिता का कारक ग्रह है,पिता का...

शिशु त्रिपताकीरिष्ट : परिचय भाग

                                      शिशु त्रिपताकीरिष्ट : परिचय भाग किसी नवजातक के लिए जन्मपत्री प्रस्तुति के बाद, इसके माध्यम से “शिशुरिष्ट” मालूम करने में ”गण्ड रिष्ट’ से अलग पाराशरीय ‘वाराधिपति’, ‘यामार्द्धपति’ और...

केतुग्रह~ समग्रचिन्तन –

                              केतुग्रह~ समग्रचिन्तन – ज्योतिष शास्त्र के अनुसार केतु एक छाया ग्रह है जो स्वभाव से पाप ग्रह भी है। केतु के बुरे प्रभाव से व्यक्ति को जीवन में कई बड़े संकटों का सामना करना पड़ता है। हालांकि यही केतु जब शुभ होता है तो व्यक्ति को...

रत्न चिकित्सा ~ एक वैज्ञानिकी चेतना

              रत्न चिकित्सा ~ एक वैज्ञानिकी चेतना संसार भर में पाये जाने वाले समस्त रत्न अपने में भिन्न भिन्न रंग लिए होते हैं या यूँ कहें कि सभी रत्न भिन्न रंग के होते हैं। प्रत्येक रत्न से एक उसके रंग से सम्बंधित आभा अथवा किरणे विकिरित होती हैं। किरण चिकित्सा पधति...