अष्टम भाव का मंगल

            अष्टम भाव का मंगल ~ सुभगां महीज: वैदिक ज्योतिष के अनुसार आठवें घर से स्त्री का सौभाग्य , मानसिक बीमारी , आयु, मृत्यु, गुप्त ज्ञान , क्लेश , बदनामी, खनन , पत्नी का धन, ससुराल, दुर्घटना , गुदा , गुप्त विद्या आदि का विचार किया जाता है | आठवें घर की और गहराई...

कुंडली से जानिये समस्या और उपाय

                        जिन लोगों की कुंडली में सूर्य नीच राशि में हो या राहु से पीड़ित हो तो ऐसे व्यक्तियों में आत्मविश्वास की बहुत कमी बनी रहती है ऐसे लोगो के लिए “आदित्य हृदय स्तोत्र” का पाठ करना अमृत तुल्य कार्य करता है और आत्मविश्वास में वृद्धि करता है। यदि मंगल...

प्रेम-विवाह के ज्योतिषीय योग-

                      प्रेम-विवाह के ज्योतिषीय योग- 1. जन्म पत्रिका में मंगल यदि राहू या शनि से युति बना रहा हो तो प्रेम-विवाह की संभावना होती है। 2. जब राहू प्रथम भाव यानी लग्न में हो परंतु सातवें भाव पर बृहस्पति की दृष्टि पड़ रही हो तो व्यक्ति परिवार के विरुद्ध जाकर...

स्वस्ति वाचन ~ एक मंगलवैदिक गान –

                                  स्वस्ति वाचन ~ एक मंगलवैदिक गान – प्राय: हमसभी स्वस्ति वाचन सुनते है आज आप सभी के समक्ष प्रस्तुत करते है। आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतोऽदब्धासो अपरीतास उद्भिदः। देवा नोयथा सदमिद् वृधे असन्नप्रायुवो रक्षितारो दिवेदिवे॥ अर्थ...

हस्तरेखा के द्वारा रोगों का ज्ञान-

                                हस्तरेखा के द्वारा रोगों का ज्ञान- हथेली की रेखाओं से यह भी मालूम किया जा सकता है कि भविष्य में किसी व्यक्ति को कौन से रोग हो सकते हैं। यहां जानिए ऐसे ही कुछ योग जो बताते हैं रेखाओं के किन योगों से कौन से रोग हो सकते है- पेट रोग- किसी...

ग्रहाधीनं जगत्सर्वम्-

                          ग्रहाधीनं जगत्सर्वम्- आकाश मे ग्रह दिखाई देते है,वह पिण्ड ग्रह माने जाते है सूर्य दिखाई देता है भले ही वह कम या अधिक दिखाई देता हो लेकिन दिखाई जरूर देता है इसलिये सूर्य को सूर्य कहा जाता है,काली अन्धेरी रात मे चन्द्रमा का दर्शन जरूर होता है...