by Dr Ashwini Pandey | Nov 6, 2020 | उपाय, वेद, सनातन धर्म, साहित्य रचना
याग का चयन- मुनिवरों! आज हम तुम्हारे समक्ष, पूर्व की भांति, कुछ मनोहर वेदमन्त्रों का गुणगान गाते चले जा रहे थे, ये भी तुम्हें प्रतीत हो गया होगा, आज हमने पूर्व से, जिन वेदमन्त्रों का पठन-पाठन किया, हमारे यहाँ, परम्परागतों से ही, उस मनोहर वेदवाणी का प्रसारण होता रहता...
by Dr Ashwini Pandey | Oct 25, 2020 | दर्शन, साहित्य रचना
स्थूल जगत सूक्ष्म जगत:-एक दर्शन स्थूल जगत जिसको हम देख सकते है पृथ्वीलोक पर रहने वाले प्राणी जिसको हम देख सकते है स्थूल जगत में आते है। सूक्ष्म जगत जो हमे दिखाई नही देता, जो अन्य लोक है स्वर्गलोक, नाग लोक, यक्ष लोक आदि। इंसान सूक्ष्म जगत को अंधविस्वास या कोरी कल्पना...
by Dr Ashwini Pandey | Oct 24, 2020 | दर्शन, साहित्य रचना
महाराज रघु और रघुकुल तमध्वरे विश्वजिति क्षितीशं निःशेषविश्राणितकोशजातम् उपात्तविद्यो गुरुदक्षिणार्थी कौत्सः प्रपेदे वरतन्तुशिष्यः।। रघुवंशमहाकाव्यम् *अध्यायः५श्लोक:१।। अयोध्या नरेश रघु (Raja Raghu) के पिता का दिलिप और माता का नाम सुदक्षिणा था। इनके प्रताप एवं न्याय के...
by Dr Ashwini Pandey | Oct 11, 2020 | Miscellaneous, दर्शन, साहित्य रचना
एक बार एक राजा था। एक दिन वह बड़ा प्रसन्न मुद्रा में था सो अपने वज़ीर के पास गया और कहा कि तुम्हारी जिंदगी की सबसे बड़ी ख़्वाहिश क्या हैं? वज़ीर शरमा गया और नज़रे नीचे करके बैठ गया। राजा ने कहा तुम घबराओ मत तुम अपनी सबसे बड़ी ख़्वाहिश बताओ। वज़ीर ने राजा से कहा हुज़ूर...
by Dr Ashwini Pandey | Oct 10, 2020 | दर्शन, साहित्य रचना
हिरण्याक्ष -अक्ष शब्द का अर्थ है आँख और हिरण्य शब्द का अर्थ है सोना तथा स्वर्ण को हिरण्य कहते हैं ।और हिरण्याक्ष राक्षस को कहते हैं।जिसके आँखों में पैसा है वही राक्षस है।हिरण्याक्ष लोभ का स्वरूप है।और भक्ति में आँख मुख्य है।यदि आँखों में भगवान को रख लें तो आँखों में...
by Dr Ashwini Pandey | Sep 23, 2020 | Miscellaneous, साहित्य रचना
यदि होता कि नर नरेश मैं राज महल में रहता, सोने का सिंहासन होता सिर पर मुकुट चमकता। बंदी जन गुण गाते रहते दरवाजे पर मेरे, प्रतिदिन नौबत बजती रहती संध्या और सवेरे। मेरे वन में सिंह घूमते मोर नाचते आँगन; मेरे बागों में कोयलिया बरसाती मधु रस-कण। मेरे तालाबों में खिलती...
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