प्राचीन भारत में मंदिर बनाने का नक्शा

                                            || प्राचीन भारत में मंदिर बनाने का नक्शा || कुण्डलिनी जाग्रत करने के स्थान थे प्राचीन मंदिर प्राचीन भारत में मंदिर बनाने से पहले जगह और दिशा का विशेष महत्व होता था। मंदिरो का निर्माण अलग अलग शैलियों के हिसाब से हुआ करता था...

तपस्वियों! राष्ट्र का पथ प्रदर्शन

                    तपस्वियों! राष्ट्र का पथ प्रदर्शन भद्रमिच्छन्तः ऋषयः स्वर्विदस्तपोदीक्षा मुप निसेदुरग्रे। ततो राष्ट्रं बलमोजश्च जातं तदस्मै देवा उप संनमन्तु ॥ . अथर्व. 19। 41 “सुख और कल्याण की कामना करते हुए सुख के वास्तविक स्वरूप को जानने वाले ऋषियों ने पहले तप...

मृद्भक्षण लीला – नाहं भक्षितवानम्ब!

                          मृद्भक्षण लीला – नाहं भक्षितवानम्ब! श्रीवृन्दावन धाम के भक्त लोग कहते हैं- यहाँ ऐश्वर्याधिष्ठात्री थोड़ी सी दूर रहती हैं। पीछे-पीछे रहती हैं। यहाँ तो माधुर्यसारसर्वस्व की अधिष्ठात्री का ही प्राधान्य होता है। इसलिये कहते हैं कि...

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

                          ॐ नमो भगवते वासुदेवाय कृष्णात्परं किमपि तत्वमहं न जाने श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार ज्ञानयोग- निष्काम योग- परमात्मा की अवधारणा। ज्ञान कर्म योग- इसमे साधक अपने शक्ति सामर्थ्य को समझ कर सामने रखकर हानि लाभ का निर्णय लेकर इस कर्म को संपादित करता...

भारतीयदर्शनकी_गणितीयरूपरेखा_एवं_स्त्रीदर्शनका_स्वरूप

                          #भारतीयदर्शनकी_गणितीयरूपरेखा_एवं_स्त्रीदर्शनका_स्वरूप पूरा पढ़े 1+1=1 एवं 1-1=2 स्त्री को घर के मान-सम्मान का प्रतीक माना जाता है।इसीलिए शास्त्रों में स्त्री की रक्षा के लिए विशेष नियम बनाए गए हैं। शास्त्रों में लिखा है कि- पिता रक्षति कौमारे...

महर्षि कण्व: एक युगद्रष्टा

                                            महर्षि कण्व: एक युगद्रष्टा- महर्षि कण्व का उपदेश जोकि वर्तमान समय में सभी स्त्रियों को नितान्त आवश्यक हैप्राचीन भारत में ‘कण्व’ नाम के अनेक व्यक्ति हुए हैं, जिनमें सबसे अधिक प्रसिद्ध महर्षि कण्व थे, जिन्होंने...