मानुस हौं तो वही रसखान, बसौं मिलि गोकुल गाँव के ग्वारन।
जो पसु हौं तो कहा बस मेरो, चरौं नित नंद की धेनु मँझारन॥
पाहन हौं तो वही गिरि को, जो धर्यो कर छत्र पुरंदर धारन।
जो खग हौं तो बसेरो करौं मिलि कालिंदीकूल कदम्ब की डारन॥
या लकुटि अरु कामरिया पर राज तिहुपुर कै तजि डारो।
आठो सिद्धि नवोनिधि के सुख नन्द के गाय चराई बिसारो।।
एक प्रार्थना रसखान के शब्दों में अपने लिए
डॉ. अश्विनी पाण्डेय
यह चित्र १३ अप्रैल २०१९ को राजघाट वाराणसी में लिया गया।
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