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युजे वां ब्रह्म पूर्व्यं नमोभिर्विश्लोक एतु पथ्येव सूरेः।
शृण्वन्तु विश्वे अमृतस्य पुत्रा आ ये धामानि दिव्यानि तस्थुः॥
सुरेः पथि एव वां नमोभिः पूर्व्यं ब्रह्म युजे। विश्लोकः एतु। सर्वे अमृतस्य पुत्राः शृण्वन्तु ये दिव्यानि धामानि आतस्थुः॥
ज्ञानियों के चरण-चिह्नों का अनुगमन करते हुए मैं निरन्तर ध्यान के द्वारा तुम दोनों का अनादि ब्रह्म में विलयन करता हूँ । महिमामय एकं प्रभु अपने आप को अभिव्यक्त करें! अमृत आनन्द के पुत्र मेरी बात सुनेंवे भी जो दिव्य धाम में निवास करते हैं।