by Dr Ashwini Pandey | Jun 30, 2022 | Miscellaneous, उपाय, दर्शन, वेद, सनातन धर्म, संस्कृत रचनायें
आदित्य हृदय स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम् । रावणं चाग्रतो दृष्ट्वा युद्धाय समुपस्थितम् ॥1॥ दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम् । उपगम्याब्रवीद् राममगस्त्यो भगवांस्तदा ॥2॥ हिंदी अर्थ: उधर श्री रामचन्द्रजी...
by Dr Ashwini Pandey | Dec 15, 2021 | Miscellaneous, इतिहास, भारत के यादगार सौ विद्वान, वेद, सनातन धर्म, संस्कृत, संस्कृत के प्रमुख विद्वान्, संस्कृत रचनायें
माँ #मदालसा: महर्षि #कश्यप पुत्र गंधर्वराज #विश्वावसु पुत्री.. ऋषियों ने भारतभूमि को आदिकाल से अपनी तपस्या द्वारा पुण्यभूमि बनाया है। यहां अनेक प्रकार के विद्वान ऋषि तथा विदुषियां हुई हैं, जिनके अच्छे कार्यों के लिए उन्हें सदैव...
by Dr Ashwini Pandey | Nov 28, 2021 | Astronomy, Miscellaneous, इतिहास, दर्शन, भारत के यादगार सौ विद्वान, वेद, सनातन धर्म, संस्कृत इतिहास, संस्कृत रचनायें, साहित्य रचना
भारतीय गणित का इतिहास~ एक सिंहावलोकन- सभी प्राचीन सभ्यताओं में गणित विद्या की पहली अभिव्यक्ति गणना प्रणाली के रूप में प्रगट होती है। अति प्रारंभिक समाजों में संख्याये रेखाओं के समूह द्वारा प्रदर्शित की जाती थी। यद्यपि बाद में विभिन्न संख्याओं को...
by Dr Ashwini Pandey | Aug 3, 2021 | इतिहास, काशी, दर्शन, वेद, सनातन धर्म, संस्कृत, संस्कृत रचनायें
महादेव और गौ भक्ति श्री कृष्ण की लीलाओ में गौ माता को प्रधान स्थान रहा है। भगवान् विष्णु जैसे महान् गौ भक्त है उसी प्रकार श्री शंकर भी महान गौ भक्त है। पुराणों में उपलब्ध भगवान् शिव की गौ भक्ति दर्शाने वाले कुछ प्रसंग यहाँ दिए जा रहे है। एक बार...
by Dr Ashwini Pandey | May 29, 2021 | Miscellaneous, इतिहास, दर्शन, वेद, सनातन धर्म, संस्कृत, संस्कृत रचनायें
तपस्वियों! राष्ट्र का पथ प्रदर्शन भद्रमिच्छन्तः ऋषयः स्वर्विदस्तपोदीक्षा मुप निसेदुरग्रे। ततो राष्ट्रं बलमोजश्च जातं तदस्मै देवा उप संनमन्तु ॥ . अथर्व. 19। 41 “सुख और कल्याण की कामना करते हुए सुख के वास्तविक स्वरूप को जानने वाले ऋषियों ने पहले तप...
by Dr Ashwini Pandey | May 15, 2021 | Miscellaneous, चलचित्र, सनातन धर्म, संस्कृत इतिहास, संस्कृत रचनायें
अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्द नुते गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते। भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥१॥ ...
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