by Dr Ashwini Pandey | Mar 10, 2021 | Miscellaneous, वास्तुशास्त्र, सनातन धर्म, संस्कृत
:-दिशा और विदिशा :- दिकशूल विचार दिशा:-दिशा चार हैं-पूर्व,पश्चिम,उत्तर और दक्षिण। प्रातः सूर्योदय जिधर होता है वह दिशा पूर्व है,पूर्व दिशा की ओर मुख करके खड़े होने पर पीछे पश्चिम,दाहिने दक्षिण दिशा और बायें हाथ की तरफ उत्तर दिशा होती है। विदिशा:-...
by Dr Ashwini Pandey | Mar 7, 2021 | इतिहास, वेद, सनातन धर्म, संस्कृत
1.तमसा नदी : अयोध्या से 20 किमी दूर है तमसा नदी। यहां पर उन्होंने नाव से नदी पार की। 2.श्रृंगवेरपुर तीर्थ : प्रयागराज से 20-22 किलोमीटर दूर वे श्रृंगवेरपुर पहुंचे, जो निषादराज गुह का राज्य था। यहीं पर गंगा के तट पर उन्होंने केवट से...
by Dr Ashwini Pandey | Feb 28, 2021 | Miscellaneous, इतिहास, दर्शन, वेद, सनातन धर्म, संस्कृत
रामायण- एक प्रसंग *एक रात की बात हैं,माता कौशिल्या जी को सोते में अपने महल की छत पर किसी के चलने की आहट सुनाई दी। नींद खुल गई । पूछा कौन हैं ?* *मालूम पड़ा श्रुतिकीर्ति जी हैं ।नीचे बुलाया गया* *श्रुतिकीर्ति जी, जो सबसे छोटी बहु हैं, आईं, चरणों में...
by Dr Ashwini Pandey | Feb 22, 2021 | उपाय, वेद, सनातन धर्म, संस्कृत
Ashwini Pandey Research Scholar Department of Jyotish Banaras Hindu University मन्त्र विद्या भारतवर्ष अनादिकाल से ज्ञान—विज्ञान की गवेषणा, अनुशीलन एवं अनुसन्धान की भूमि रहा है। विद्याओं की विभिन्न शाखाओं में भारतीय मनीषियों ऋषियों एवं अघ्येताओं ने जो कुछ...
by Dr Ashwini Pandey | Feb 15, 2021 | इतिहास, दर्शन, वेद, सनातन धर्म, संस्कृत
“सोलह कला”:- श्रीराम बारह और भगवान कृष्ण सोलह कलाओं के स्वामी माने गए हैं … भगवान श्रीकृष्ण के बारे में कहा जाता था कि वह संपूर्णावतार थे और मनुष्य में निहित सभी सोलह कलाओं के स्वामी थे। यहां पर कला शब्द का प्रयोग किसी ‘आर्ट’...
by Dr Ashwini Pandey | Feb 13, 2021 | Miscellaneous, दर्शन, वेद, सनातन धर्म, संस्कृत
शिव-शक्ति ” अलिंग-लिंग तत्त्व निरूपण ” निर्गुण ब्रह्म शिव जो ” अलिङ्ग ” है , लिङ्ग रूप प्रकृति का मूल कारण है , साथ ही स्वयं लिङ्ग रूप ( प्रकृति रूप )भी वही है । लिङ्ग रूप प्रकृति भी शिवोद्भासित है। शब्द, स्पर्श,...
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