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:-दिशा और विदिशा :- दिकशूल विचार
दिशा:-दिशा चार हैं-पूर्व,पश्चिम,उत्तर और दक्षिण। प्रातः सूर्योदय जिधर होता है वह दिशा पूर्व है,पूर्व दिशा की ओर मुख करके खड़े होने पर पीछे पश्चिम,दाहिने दक्षिण दिशा और बायें हाथ की तरफ उत्तर दिशा होती है।
विदिशा:- पूर्व और दक्षिण के बीच के कोण को आग्नेय,दक्षिण और पश्चिम के बीच के कोण को नैऋत्य,पश्चिम और उत्तर के मध्य कोण को वायव्य कोण और उत्तर तथा पूर्व के मध्य कोण को ऐशान्य कोण कहते हैं। यह चार कोण हीं चार विदिशायें हैं।
दिशाशूल विचार:- शनि और सोमवार को पूर्व दिशा,वृहस्पति दक्षिण दिशा,रविवार और शुक्रवार को पश्चिम दिशा तथा बुध और मंगल को उत्तर दिशा की यात्रा न करें।
“शनौ चन्द्रे त्यजेत्पूर्वां दक्षिणां हि दिशं गुरौ,सूर्ये शुक्रे पश्चिमाम् च बुधे भौमे तथोत्तराम्।”
विदिशा शूल विचार:- बुध और शनि के दिन ईशान कोण में,सोम और गुरुवार को अग्नि कोण में,मंगलवार को वायु कोण में तथा रवि और शुक्र को नैऋत्य कोण में दिशाशूल रहता है।
“ऐशान्यां ज्ञे शनौ शूलमाग्नेय्यां गुरुसोमयोः,वायव्यां भूमिपुत्रे तु नैऋत्यां सूर्यशुक्रयोः।”