आशा धृतिं हन्ति समृद्धिमन्तकः क्रोधः श्रियं हन्ति यशः कदर्यता |

आशा धृतिं हन्ति  समृद्धिमन्तकः क्रोधः श्रियं हन्ति यशः कदर्यता | अपालनं हन्ति पशूंश्च  राजन्न एकः क्रुद्धो ब्राह्मणो हन्ति  राष्ट्रं    || -महासुभषितसंग्रह (5427) भावार्थ –   हे राजन  !   (अत्यधिक) आशावादी होने से मनुष्य का आत्मविश्वास, पराक्रम तथा समृद्धि  नष्ट...

अपराध और पाप एक दूसरे से भिन्न होते हैं

अपराध और पाप एक दूसरे से भिन्न होते हैं। अपराध दंडनीय होता है, पाप निंदनीय होता है। एक के लिए प्रताड़ना कारगर होती है तो दूसरे के लिए प्रायश्चित लाभकारी होता है। अपराध प्रत्यक्ष होता है तो पाप प्रच्छन्न ( छिपा हुआ ) होता है। एक परिस्थितियों की औलाद है तो दूसरा विकृति...

आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः

अनुभवातीत: कहते है बंधन सबसे बड़ा दुःख और आज़ादी सबसे बड़ा सुख है। आदमी दूसरों से कभी-कभी घिर जाता है। पर अपने लोगों से ज्यादा घिरा रहता है। पर सबसे बड़ी परेशानी तब होती है, जब आदमी अपनेआप के,अपनी कमजोरी के,अपने आलस्य के गहरे बंधन में फंस जाता है।पूर्वजों ने कहा है कि...

अपराध और पाप एक दूसरे से भिन्न होते हैं

अपराध और पाप एक दूसरे से भिन्न होते हैं।अपराध दंडनीय होता है, पाप निंदनीय होता है। एक के लिए प्रताड़ना कारगर होती है तो दूसरे के लिए प्रायश्चित लाभकारी होता है। अपराध प्रत्यक्ष होता है तो पाप प्रच्छन्न ( छिपा हुआ ) होता है। एक परिस्थितियों की औलाद है तो दूसरा विकृति...