भारत को मान्यताओं का देश कहा जाता है। यहां तमाम परंपराओं को निभाया जाता है। इसी कारण इसे आस्था का केंद्र भी माना जाता है। यहां हर चीजें भगवान का एक आदेश या संकेत के तौर पर देखी जाती हैं। इसलिए मानसून (Monsoon) की दस्तक से पहले ही कानपुर (Kanpur) का एक प्रसिद्ध मंदिर पहले ही संकेत दे देता है। मान्यता है कि बारिश (Rain Fall) के आने से सात दिन पहले ही मंदिर में ऐसी चीजें होने लगती हैं जिससे इसका पूर्वाभास हो जाता है। इसका नाम जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple Kanpur) है।
यह मंदिर उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद के के भीतरगांव विकासखंड से ठीक तीन किलोमीटर की दूरी पर बेहटा गांव में स्थित है। लोगों का कहना है कि प्राचीन मंदिर की छत से अचानक पानी का टपकना बारिश होने के संकेत को दर्शाता है। यहां तेज धूप में भी पानी टपकता है। जिससे अनुमान लगाया जाता है कि जल्द ही शहर में बारिश होने वाली है। हालांकि मंदिर के रहस्य को जानने के लिए तमाम सर्वेक्षण किए गए। इसके बाद भी मंदिर के निर्माण और पानी टपकने के रहस्य से पर्दा नहीं हट पाया। पुरातत्व वैज्ञानिक महज इतना पता लगा पाए कि मंदिर का अंतिम जीर्णोद्धार 11वीं सदी में हुआ था।
गर्भ गृह के पत्थर से टपकता है पानी-
प्राचीन भगवान जगन्नाथ मानसूनी मंदिर में पानी गर्भ गृह में लगे पत्थर से टपकता है। ये पत्थर मंदिर के शिखर पर लगा हुआ है। माना जाता है कि पानी की बूंदे जितनी बड़ी होती है, उतनी ही अच्छी बारिश होने की संभावना रहती है। इसी के आधार पर आस-पास के किसान खेती और फसलों की कटाई की योजना बनाते हैं।
निर्माण को लेकर संशय-
कानपुर में स्थित भगवान जगन्नाथ का ये प्राचीन मंदिर बौद्ध मठ के आकार में बना हुआ है। मंदिर की दीवारें करीब 14 फीट मोटी हैं। मंदिर के अंदर भगवान जगन्नाथ, बलदाऊ और बहन सुभद्रा की काले चिकने पत्थरों की मूर्तियां हैं। जैसी रथ यात्रा पुरी उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर में निकलती है वैसे ही रथ यात्रा यहां से भी निकाली जाती है। पुरातत्व विभाग के सहायक निरीक्षक मनोज वर्मा बताते हैं कि मंदिर का जीर्णोद्धार 11वीं शताब्दी के आसपास हुआ था। जबकि मंदिर 9वीं सदी का हो सकता है। हालांकि इसका अभी सटीक प्रमाण नहीं मिला है।
मानसून मंदिर के इस रहस्य को जानकर हैरान रह जाएंगे, मोटी और हल्की बूंदें करती है मौसम की भविष्यवाणी
दुनिया भर में तमाम रहस्यों के बीच कानपुर के इस मंदिर की चर्चा दुनिया भर में है. मौसम की सटीक भविष्यवाणी करने वाला ये मंदिर अपने आप में अनोखा है. बारिश कैसी होगी, कब होगी ये मंदिर पहले ही संकेत दे देता है.
4200 साल पुराना मंदिर-
ये मंदिर कितना पुराना है, इसको लेकर कई मत हैं. इतिहासकारों की मानें तो इसे 9वीं शताब्दी का तो कुछ इसे बुद्ध कालीन बताते हैं। क्योंकि इसकी कलाकृति 9वीं शताब्दी की है, तो देखने मे ये बौद्ध स्तूप की तरह लगता है. इसलिए इसके अलग अलग मत है. लेकिन अंदर से ये मंदिर 4200 साल पुराना और बाहर से जीर्णोद्धार के बाद 1800 साल पुराना बताया जाता है.
Picture Credit Goes to

शशांक पाण्डेयजी

May be an image of outdoors, monument and text that says 'प्राचीन इष्टिका मन्दिर ANCIENT BRICK TEMPLE भीतरगांव स्थित निर्मित पूर्वोन्मुख मन्दिर गुप्तकालीन एक अनुपम REGARDED EAST-FACING BHITARGAON OLDEST ईटनिर्मित बहि्नियोजित सुशोभित 57मी0 अलकृत फलको AS सुबोध दीवारों होता विशिष्टता मृण्मूर्ति दर्गा मन्दिर पाँचवी शती0 0 विष् रायो शैल देखते कता AVE अधीक्षण पुरातत्वविद् लखनऊ मण्डल ANESHA, TEMPLE| ASCRIBABL THE SUPERINTENDING ARCHAEOLOGIST LUCKNOW CIRCLE'