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धर्म रथ के दो पहिये हैं- सौरज और धीरज। सत्य और शील ( शीलंपरहित चिन्तनम् ) इस रथ की दृढ़ ध्वजा और पताका है। शौर्य के साथ धैर्य हो। श्रीमद्भागवत कहता है ‘स्वभावविजयः शौर्यं सत्यं च समदर्शनम्’ जन्म- जन्म के संस्कार से बने अपने स्वभाव पर विजय पाना ही शौर्य (वीरता) है।