याज्ञसेनी

                        याज्ञसेनी नाम था उसका। महर्षि धौम्य ने जन्म के बाद उसको अवभृत स्नान कराया था। यह जन्म सामान्य बात न थी। अग्निजा थी वह। अरणियों से प्रज्ज्वलित धूमरहित वह्नि शिखाओं को पिया था उसने। माता का दूध क्या होता है, उसे न पता था और न ही वह यह जानने...

जन्म कुण्डली में पितृ दोष

                                            मुख्य रूप से जन्म कुण्डली से ही पितृ दोष का निर्णय किया जाता है परंतु स्वप्न में पितृ के दर्शन होना,घर मे किसी के मृत्यु के बाद उनका अहसास होना भी एक प्रकार से पितृदोष ही है । सूर्य आत्मा एव पिता का कारक ग्रह है,पिता का...

शिशु त्रिपताकीरिष्ट : परिचय भाग

                                      शिशु त्रिपताकीरिष्ट : परिचय भाग किसी नवजातक के लिए जन्मपत्री प्रस्तुति के बाद, इसके माध्यम से “शिशुरिष्ट” मालूम करने में ”गण्ड रिष्ट’ से अलग पाराशरीय ‘वाराधिपति’, ‘यामार्द्धपति’ और...

केतुग्रह~ समग्रचिन्तन –

                              केतुग्रह~ समग्रचिन्तन – ज्योतिष शास्त्र के अनुसार केतु एक छाया ग्रह है जो स्वभाव से पाप ग्रह भी है। केतु के बुरे प्रभाव से व्यक्ति को जीवन में कई बड़े संकटों का सामना करना पड़ता है। हालांकि यही केतु जब शुभ होता है तो व्यक्ति को...

माँ मदालसा: महर्षि कश्यप पुत्र गंधर्वराज विश्वावसु पुत्री

                                    माँ #मदालसा: महर्षि #कश्यप पुत्र गंधर्वराज #विश्वावसु पुत्री.. ऋषियों ने भारतभूमि को आदिकाल से अपनी तपस्या द्वारा पुण्यभूमि बनाया है। यहां अनेक प्रकार के विद्वान ऋषि तथा विदुषियां हुई हैं, जिनके अच्छे कार्यों के लिए उन्हें सदैव...